Book Title: Uttaradhyayanani Uttararddha
Author(s): Chirantanacharya, Kanchansagarsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text ________________
परिशि.१२
उत्तरा० अवचर्णिः
॥ ३९१
मानसागर,
अव० अन्त्यभागः
श्री उत्तगध्ययनावचूणों
द्वादशमं परिशिष्टम् - श्री उत्तराध्ययनस्तबकादिभागः -
'पञ्च-पदाम्नायः॥
[पञ्च-परमेष्ठि-साधन-विधि-फलम् ] ॐ नमो अरिहंताणं श्रीचन्द्रप्रभ-सुविधिनाथौ श्वेतवर्णी सितध्यानेन ब्रह्मस्थाने मस्तकस्थितौ ध्यातव्यौ। पृथ्वीमण्डलतन्वे वर्तुलाकारौ पुरुषांशको, अ-आ स्वरौ, क-च-ट-त-प-य-श इति ५ सप्तभिर्व्यञ्जनातव्यो । नन्दातिथिभिः प्रतिपत्पष्टयेकादशीभि-स्तिभिः सहितौ, सोम-मङ्गलबारसंयुक्तौ, [वृष ? -कन्या-कुम्भराशि-सहितौ, कार्तिक-चैत्रमासयुक्ती, कृत्तिका-रोहिणी-उत्तराफाल्गुनी-हस्त-धनिष्ठा-शतभिषक् पूर्वाभाद्रपदा-सप्तनक्षत्रः गोल्याम्लास्वादयुक्तौ ध्यातव्यौ । १. महेसाणाना भंडारनी सचित्र स्तबकवाली आ उत्तराध्ययननी प्रतमां पंचपरमेष्ठिमहामंत्र विवरण होवाथी अत्रे ते
आपवामां आव्युं छे. तेमा * आ निशान अंदरनो पाठ नहि होवाथी ते पूर्ण करवाने माटे नमस्कार स्वाध्यायनी पुस्तिका पृ. २६८ परथी लीधो छे.
+%88+
UCAR
स
॥ ३९१॥
Jan Edu
a
l
For Privale & Personal use only
Loading... Page Navigation 1 ... 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480