Book Title: Uttaradhyayanani Uttararddha
Author(s): Chirantanacharya, Kanchansagarsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 353
________________ प्रतिकम् गा. सू. पनाङ्कः प्रतिकम् गा. सू. पत्राङ्कः | प्रतिकम् गा. सू. पत्राङ्कः । प्रतिकम् गा. सू. पत्राङ्कः सहाणुवाएण परि समया सव्वभूएसु १२५ ११९ | सरीरपच्चक्खाणेणं सू.५२ २४५ | संखककुंदसंकासा १४३४ गहेण ११९६ २७५ समरेसु आगारेसु २६ ७ सरीरमाहु नावुत्ति ९०४ १९४ सहाणु० १२०० २७६ समं च संथवं थीहिं ५१३ १२८ सलं कामा विसं कामा २८० ६८ संखिज्जकालमुक्कोसा० १५०६ ३१० सहा विविहा भवंति ५०७ १२३ समागया बहु तस्थ ८५० १८५ सम्वगुणसंपुन्नयाए णं सू.५८ २४६ सद्दे अतितं ११९७ २७५ समावना ण संसारे ९६ २९ सध्वजीवाण कम्मं तु १२८४ २८४ संगो एस मणुस्साणं ६४१८ | सद्दे स्वे य गंधे य ५१९ १२९ समिइहिं मझ ३७५ ८९ सम्वट्ठसिद्धगा चेव १५८८ ३२३ - संजओ अहमस्सीति ५५७ सद्दे विरत्तो १२०२ २७६ समिक्ख पंडिए तम्हा १६१ ४५ सब्वभवेसु अस्साया ६७४ १५५ चइड रज ५६६ १३८ सद्देसु जो गेहिमुवेइ ११९२ ३७५ समुद्दगंभीरसमा ३५७ सव्वं गंथ कलह २१ ५७ " नाम नामेण ५६९ १३९ सद्ध णगरि किच्चा २४७ ६४ समुयाण उंछमेसिज्जा १३६८ ३०० , जगं जह तुहं १७९ ११६ संजमेण भंते! सू.४० २४२ सन्निहिं च न कुग्विजा १७५ ४८ समुवट्टियं तहिं संतं ९५३ २०३ ,, तो जाणइ १२६४ २८० संजोगा विप्पमुक्कस्स . १ स पुज्जसत्थे सुविनी० ७ १२ सम्मत चेव मिच्छत्तं १२७५ २८२ , विलवियं गीय ४२१ १०२ " . " . ३२७ ७८ स पुब्वमेवं ण लभेज १२३ ३७ सम्मदसणरत्ता १६३० ३२७ , सुचिण १५ १०० संशाणो भवे तसे १४१७ सब्भावपञ्चक्खाणेणं सू.५५ २४५ सम्मं धम्म वियाणित्ता ४९० ११८ सव्वे ते विझ्या मनं ५७४ १४० ,वढे ११६ ३०५ समएवि संतई पप्प १३८२ ३०३ सयणासण ठाणे वा ११३३ २६१ सव्वेसि चेव कम्माण १२८३ २८४ , य चउरंसे १४१८ ३०५ समण संजय दंत ७५ २२ सयणासणपाणभोयण ५०४ १२२ सम्धेहिं भूएहिं ७७१ १४३ संठाण परिणया जे उ १३९४ ३०५ समणा मु एगे २९४ ५७ | सयं गेई परिचज ५४४ १३४ | सम्वोसहीहिं हविहो ७९१ १७० | संतई पप्पऽणाईया १४५२ ३१३ संयं च जइ मुंचिजा ७३० १६४ ससरक्खपामो सुबई ५४० १३३ | " " १५६० ३१३ का समयाए समणो होइ ९७८ २०७| सरागे वीयरागे वा १३२३ २९१ | सहायपञ्चक्खागेणं सू.५३ २४५ उत्तरा०५८ JainEducation In d dal For Privale & Personal use only Pahelibrary.org

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