Book Title: Uttaradhyayanani Uttararddha
Author(s): Chirantanacharya, Kanchansagarsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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उत्तरा०
पत्राङ्क
परिशि.१
अवचूर्णिः
॥३४२॥
गाथानां सूत्राणाञ्चाकारादिक्रमः
KOXOXOXOXOXOXOXO-XOXOXOKOKa
प्रतीकम् गा. स. पत्राः । प्रतीकम् गा. सू. पत्राङ्कः प्रतीकम् गा. सू. पत्राङ्कः प्रतीकम् गा. स.
| बित्ते अचोहए निचं ४ १२ वीयरागयाए ण भंते ! सू.५९ २४६ | सच्चसोयपागदा १४ वाउक्कायमइ यओ २९७ ७२ वित्तेण ताणं न लभे ११९ ३५ | वीसं तु सागराई तु १६०३ ३२४ | सच्चा तहेव मोसा य ९४० वाएण हीरमाणमि २३७ ६२ | बिदसएहिं जालेहिं ६६५ १५४ बुच्छिंद सिणेहमप्पणो २१७ ७५ वाडेसु य रत्वासु य १११५ २५७ विभूसं परिवजिज्जा ५१८ १२९ | वेआ घीआ न भवंति ४५२ सज्झाएक भंते! सू.३२ वाणारसीइ बहिया ९५० २०२ विययपक्खी य १५६९ ३२० बेइज्ज निजरा पेही ८५ २४ सणकुमारो मणुस्सिदो ५८४ वायणयाए णं भंते! सू.३३ २४० वियरिजइ खजइ ३६८ ८७ वेमाणिया उ जे देवा १५८१ ३२२ सत्तरस सागराई १६०० ३२४ वायगा पुच्छणा चेव ११३१ २६१ वियाणिया दुक्ख० ६९८ १५९ वेमायाहिं सिक्खाहिं १९७ सत्तरससागराऊ १५३७ वायं विविहं समिच्च ५०८ विरई भबंभचेरस्स ६२८ १४९ | वेयण घेयावच्चे १०२३ सत्तु अ इइ के ८६८ वालुयाकवले चेव ६३७ १५१ विरजमाणस्स य १२६१ २७८ वेयणियपि हु दुविहं १२७३ सत्तेव सहस्साई १४६१ वासाई बारसेय उ १५०५ ३१७ विवायं च उदीरेइ ५३८ १३३ बेयाण च मुह बूहि ९६१ २०४ , सागराऊ १५३५ वासुदेवो अणं भणइ ८०७ १८० विविधि कम्मणो हेर्ड १७४४८ | वेयावच्चे ण भंते! स. ५७ २४६ सत्यग्गहणं विसभ| वासुदेवो भणं भणई ८१३ १७९ विवत्तिलयणाई ७८० १७४ | बेयाबच्चे निउत्तेणं १०.१ २११
खणं १६३९ ३२८ विगहाकसायसन्माण ११४० २६२ विवित्तसयणासणयाए सू.४५ २४३ वोयाणेणं भंते! सू.४२ २४२
| सत्थं जहा परमतिक्खं ७१८ १६३ विगिंच कम्मुणो हेडं १०७ ३१ विवित्तसिजासण० ११६७ २६९
स देवगंधब्वमणुस्स. १८१३ विच्छिन्ने दूरमोगाढे ९३८ २०० विसएसु अरजतो ६०९ १३७
सहस्स सोयं गणं | विजमि सए काए १५६० ३२० विसप्पे सवओ धारे १२६४ २९८ | सकम्मसेसेण पुराकएण ४४२ १०७
वयंति ११९१ २७५ | विजहित पुवसंजोगं २०९ ५६ / विसं तु पीयं जह ७४२ १६६ | सक्खं खुदीसइ ३९५ ९४ | सइंधयार उजोओ २०७२ २२६ विणिवणयाए सू.४६ २४३ / बिसालीसेहिं सीलेहिं १०८ ३. | सगरोऽवि सागरंत ५८२ १४२ । सद्दाणुगासाणु ११९५ २७५
WW.००
[॥३४२॥
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