Book Title: Uttaradhyayanani Uttararddha
Author(s): Chirantanacharya, Kanchansagarsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 342
________________ परिशि.१ उत्तरा० अवचूर्णिः ॥३३७॥ गाथानां सूत्राणाखाकारादिक्रमः KOXOXOXOXOXOXOXOXOXOXOKax प्रतीकम् गा. सू. पत्राङ्कः। प्रतीकम् गा. सू. पत्राङ्कः। प्रतीकम् गा. सू. पत्राङ्कः | प्रतीकम् गा. सू. पत्राः जा सा अणसणा मरणे ११०९ २५६ | जे केइ उ पम्वइए ५२९ १३, जो अस्थिकायधम्म १०८७ २२९ जिटामूले आसाठ "" सरीरे सत्ता ११ ४७ जोगपञ्चक्खाणेणं स्. ५, २४५ सावणे 1००७ २१२, गिद्दे कामभागेसु १३२ णचा उप्पइ दुक्खं . ४. जोगसच्चेणं भंते! स.६६ २५८ जिगपणे आणुरत्ता १६३२ ३२० जेण पुणो जहाह जीवियं ४९९ १२१ जो जस्स उ माहारो ११२ २५७ " नमइ मेहावी ४५ जिणे पासिति नामेण ८३२ १८३ जे पापकम्मेहिं धणं णत्थि पूर्ण परे लोए ९२ ११६ ,, जिणदिढे भापे १०७८ जिम्भाए रसं गहण १२१६ २७६ २२० , य वेयविऊ विप्पा ९५४ णमी णमेइ अप्पाणं २८८ जिभिदिय० , न सज्जइ आमंतुं ९६७ २०५ सू.७९ २५० , यावि दोसं समुवेइ ११८० ण हु जिणे अज दीसइ ३२० ७६ जीमूतनिद्धसंकासा १२९५ , पब्वइत्ताण ७३७ २८७ णाणस्स सम्बस्स ११५७ २६५ ,, लक्खणं सुविण ७४३ १६७ जीवा चेप अजीवा य १३७५ ३०२ " णादसणिस्स नाणं १२०६ १०९० "" २३० जीवाजीवविभर्ति मे १३७४ ३०२ " लोए बंभणो वुत्तो ९६६ २०५ ,,, होइ निम्विजे ३२८ , सहस्सं सहस्साणं २६१ ६५ णोपणीयं आहारं सू.९ १२० जीवा जीवा य बंधो १०१४ , लक्खणं च २२० जीवियं चेप स्वं च ५६० ,, , २६७ ६६ , बज एए उ ५४७ १३४ , तं तु संपत्ते ७९७ , सुत्तमहिजंतो १०८१ २२८ , समत्था समुदनुं ९५५ तइयाए पोरिसीऊ १०२२ २१५ जे अ मग्गेण गच्छंति ८९२ , सो इत्तरियतवो ११०७ २५५ ९५९ तड से दंड समारभति १३५ ४० , आययसंटाणे १४१९ " तो आउ परिक्खीणे १८७ ५१ " " ९६२ ,, इंदियाणं विसवा ११७६ २७१ , संखया तुच्छपर० १२७ ३८ | ठाणा बीरासणाईया ११२४ २५९ ,ओरालियं कम्माई सू.८७ २५२ ,, केइ पत्थिपा २५९ ६५ जेसिं तु बिउला सिक्खा१९८ ५३ ठाणे अ इइ के बुत्ते ९१३ १९६ ,,कम्मगुरू जंतू १८६ ५१ 11 , उ पब्वइए ५२७ १३१ | जोअणस्स उ जो तत्थ १४३५ ३०९ | , निसीयणे चेप ९४४ २०१ । ,,कल्ले पभायमि ७३२ १६४ . SA . Jain Education For Private & Personal use only Hainelibrary.org

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