________________
३०/तीर्थंकर चरित्र
नलिकाखेट - नली के द्वारा पाशा डाल कर खेला जाने वाला
जुआ वृत्तखेल - वृत्तक्रीड़ा ७०. पत्रच्छेद्य
- निशानेबाजी, पत्रवेध कटकच्छेद्य - क्रमपूर्वक छेदने की कला पत्रकच्छेद्य - पुस्तक के पत्रों-ताड़पत्र आदि को छेदने की
कला ७१. सजीवकरण - मृत धातु को सजीव करना-उसको अपने मौलिक
रूप में ला देना। ७२. शकुनरुत - शकुन शास्त्र
यह विवरण समवायांग सूत्र के अनुसार है। ज्ञाता धर्मकथा, औपपातिक, राजप्रश्नीय व जंबूद्वीप प्रज्ञक्ति की वृत्ति भी बहत्तर कलाओं का कुछ नाम और क्रम भेद के साथ उल्लेख मिलता है।
बाहुबली को प्राणी लक्षण का ज्ञान कराया । ज्येष्ठ पुत्री को दाहिने हाथ से अठारह प्रकार की लिपियां सिखाई, वे इस प्रकार हैं१. ब्राह्मी
२. यवनानी ३. दोसउरिया
४. खरोष्ट्रिका ५. खरशाहिका (खरशापिता)
६. प्रभाराजिका ७. उच्चत्तरिका
८. अक्षरपृष्टिका ९. भोगवतिका
१०. वैनतिकी ११. निन्हविका
१२. अंकलिपि १३. गणितलिपि
१४. गंधर्वलिपि १५. आदर्शलिपि
१६. माहेश्वरी १७. द्राविड़ी
१८.पोलिंदी। दूसरी पुत्री सुंदरी को बायें हाथ से गणित का ज्ञान करवाया, साथ ही राजा हषभ ने स्त्रियों की चौसठ कलाओं का भी ज्ञान दिया, वे इस प्रकार हैं१. नृत्य-कला २. औचित्य
३. चित्र-कला ४. वाद्य-कला ५. मंत्र
६. तन्त्र ७. ज्ञान ८. विज्ञान
९. दम्भ १०. जलस्तम्भ ११. गीतमान १२. तालमान १३. मेघवृष्टि १४. फलाकृष्टि १५. आराम-रोपण १६. आकार गोपन १७. धर्म विचार १८. शकुनसार १९. क्रियाकल्प २०. संस्कृत जल्प २१. प्रसादनीति