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भगवान श्री महावीर/२०५
का राजा उदयन था। यह प्रसिद्ध नरेश सहस्रानीक का पौत्र व राजा शतानिक व महारानी मृगावती का पुत्र, महाराज चेटक का दौहित्र था। श्रमणोपासिका जयंती उदयन की बुआ थी। __ भगवान् का आगमन सुनकर राजा उदयन अपने पूरे परिवार के साथ दर्शनार्थ आया, उपदेश सुना। जयंती श्राविका ने भगवान् से अनेक प्रश्न किये और उनका समाधान पाकर वह दीक्षित हो गई। कौशम्बी से भगवान् श्रावस्ती पधारे। वहां चरम शरीरी सुमनोभद्र और सुप्रतिष्ठ ने दीक्षा ली। दोनों ही मुनियों ने अंत में निर्वाण को प्राप्त किया। वहां से विचरते हुए प्रभु वाणिज्य ग्राम पधारे । वहां का निवासी गाथापति आनंद एवं उनकी पत्नी शिवानंदा ने श्रावक के बारह व्रत धारण किये। उस वर्ष चातुर्मास वाणिज्यग्राम में ही किया। सर्वज्ञता का चौथा वर्ष ___ वर्षावास संपन्न कर मगध देश में विचरते हुए भगवान् राजगृह पधारे । सम्राट श्रेणिक ने दर्शन किये। धन्ना व शालिभद्र जैसे धनाढ्य व्यापारी पुत्र दीक्षित हुए। दोनों रिश्ते में साला-बहनोई लगते थे। धन्ना अणगार ने निर्वाण को प्राप्त किया जबकि शालिभद्र एकाभवतारी बनकर सर्वार्थ सिद्ध विमान में देव बने । उस वर्ष चातुर्मास राजगृह में संपन्न हुआ। सर्वज्ञता का पांचवां वर्ष ___ राजगृह से भगवान् चंपा पधारे। वहां के राजा दत्त के पुत्र राजकुमार महचंद ने दीक्षा ली। वहां से सिंधु-सौवीर की राजधानी वीतभय नगरी में पधारे । यह भगवान की सबसे लंबी यात्रा थी। इस यात्रा में अनेक साधु शुद्ध आहार-पानी के अभाव में स्वर्गवासी हो गये क्योंकि रास्ता अति विकट था, दूर-दूर तक बस्तियों एवं गांवों का अभाव था। सिंधु-सौवीर के राजा श्रावक उदाई भगवान् के आगमन से बड़े प्रसन्न हुए। अपने भाणेज केशीकुमार को राज्य देकर भगवान् के पास दीक्षित हो गये। कुछ समय वहां विराज कर भगवान् पुन: मगध जनपद में वाणिज्यग्राम पधारे। वहीं उन्होंने चातुर्मास किया। सर्वज्ञता का छठा वर्ष __ चातुर्मास के बाद भगवान् वाराणसी पधारे । वहां कोष्ठक चैत्य में प्रवचन हुआ। यहां के कोट्यधीश चूलनी पिता व उनकी पत्नी श्यामा तथा सुरादेव व उनकी पत्नी धन्या ने श्रावक धर्म स्वीकार किया। ये दोनों भगवान् के दस प्रमुख श्रावकों में गिने जाते हैं। वाराणसी से भगवान् आलंभिया पधारे। वहां का नरेश जितशत्रु प्रभु के दर्शनार्थ आया।
वहां एक “पुद्गल" नाम का परिव्राजक रहता प. निरंतर बेले-बेले की तपस्या व आतापना करने से उसे विभंग अज्ञान व अवधि दर्शन उत्पन्न हो गया। उस