Book Title: Tirthankar Charitra
Author(s): Sumermal Muni
Publisher: Sumermal Muni

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Page 227
________________ २०८/तीर्थंकर चरित्र का संवाद सुनकर बड़े राजसी ठाट के साथ पूरे राजकुटुंब के संग कोणिक दर्शनार्थ आया । भगवान् के प्रवचन से उबुद्ध होकर अनेक लोगों ने अणगार व आगार धर्म स्वीकार किया। मुनि धर्म अंगीकार करने वालों में पद्म, भद्र आदि श्रेणिक के दस पौत्र प्रमुख थे। पालित जैसे कई धनाधीशों ने श्रावक व्रत ग्रहण किया। इस वर्ष प्रभु का मिथिला चातुर्मास हुआ। कई आचार्य इस वर्ष का चंपा में चातुर्मास मानते हैं। सर्वज्ञता का चौदहवां वर्ष मिथिला प्रवास संपन्न कर भगवान् चंपा पधारे। उस समय विदेह की राजधानी वैशाली रणभूमि बनी हुई । एक ओर वैशाली पति राजा चेटक और अठारह गणराजा तो दूसरी ओर मगधपति राजा कोणिक और उसके काल आदि सौतेले भाई अपनी-अपनी सेना के साथ लड़ रहे थे। इस युद्ध में कोणिक विजयी रहा। काल आदि दस कुमार चेटक के हाथों मारे गये। अपने पुत्र की मृत्यु के समाचारों से काली आदि रानियों को बहुत दुःख हुआ। प्रभु-प्रवचन से वैराग्यवती बन कर काली आदि दस रानियों ने प्रव्रज्या स्वीकार की। चम्पा से विहार कर भगवान् मिथिला नगरी पधारे । वहीं चातुर्मास किया। सर्वज्ञता का पन्द्रहवां वर्ष मिथिला से विहार कर भगवान् श्रावस्ती पधारे। वहां कोणिक के भाई हल्ल-बेहल्ल किसी तरह भगवान् के पास पहुंचे और उनके पास दीक्षित हो गये। कोणिक, हल्ल व विहल्ल तीनों महारानी चेलणा के ही पुत्र थे। पिता राजा श्रेणिक ने अपना देवनामी अठारहसरा हार हल्ल को तथा पाटवी हाथी सचेतक गंधहस्ती जो अतिशय सुंदर, चतुर व समझदार था विहल्ल को दे दिया । श्रेणिक की मृत्यु के बाद कोणिक ने अपनी रानी पद्मावती के बहकावे में आकर दोनों भाइयों को हार व हाथी लौटाने को कहा, इस पर दोनों भाइयों ने यह कहकर इन्कार कर दिया कि ये तो पिताजी द्वारा प्रदत्त हैं। दोनों भाइयों ने वहां रहना उपयुक्त नहीं समझा। वहां से अपने परिवार के साथ वैशाली में अपने नाना महाराज चेटक की शरण में चले गये। कोणिक द्वारा हार व हाथी भेजने की बात करने पर चेटक ने कहा- शरण में आने के बाद क्षत्रिय मरते दम तक रक्षा करता है। इसी कारण कोणिक एवं चेटक के बीच घमासान युद्ध हुआ था। गोशालक का मिथ्या प्रलाप भगवान् श्रावस्ती के कोष्ठक उद्यान में ठहरे । उन दिनों मंखलिपुत्र गोशालक भगवान् से विलग होकर प्रायः श्रावस्ती के आस-पास ही घूमता था। तेजोलेश्या

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