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भगवान् श्री चंद्रप्रभ प्रभ/७३
बाद वापिस माता की गोद में लाकर स्थापित कर दिया।
राजा महासेन को पुत्र जन्म की जब बधाई मिली, तब बधाई देने वालों को राजा ने राज्य-चिन्ह के अतिरिक्त शरीर पर से सारे बहुमूल्य आभूषण उतार कर प्रदान कर दिये । राज्य भर में पुत्र का जन्मोत्सव मनाया गया । ग्यारह दिनों तक राजा ने याचकों के लिए भंडार खोल दिया। जो आया उसे ही दिल खोलकर दान दिया। राजा की इस उदारवृत्ति से लोग प्रसन्न थे।
नामकरण उत्सव पर भी दूर-दूर से लोग आए। निश्चित समय पर पुत्र को लेकर माता लक्ष्मणा आयोजन स्थल पर आई। लोगों ने बालक को देखा तो स्तब्ध रह गए, मानो चंद्रमा आकाश से उतर आया हो। नामकरण की चर्चा में गर्भकाल की विशेष घटना के विषय में पूछा गया तो राजा महासेन ने कहा- 'इसके गर्भकाल में महारानी को चंद्रमा को पीने का दोहद (इच्छा) उत्पन्न हुआ था, जिसे मैंने पूर्ण किया। बालक के शरीर की प्रभा भी चन्द्र जैसी हैं, अतः बालक का नाम चन्द्रप्रभ ही रखा जाए। उपस्थित जनसमूह ने भी उसी नाम से बालक को पुकारा । विवाह और राज्य
त्रिज्ञान धारी (मति, श्रुत, अवधि) चंद्रप्रभ को गुरुकुल में शिक्षा की अपेक्षा नहीं थी। कोई भी तीर्थंकर गुरुकुल में नहीं पढ़ते। वे सब तीन ज्ञान के धारक होते हैं। भोग समर्थ होते ही माता-पिता ने अनेक राजकन्याओं से चंद्रप्रभ कुंवर का विवाह कर दिया। राजा महासेन ने अपनी निवृत्ति का अवसर समझकर राज्य संचालन का दायित्व चंद्रप्रभ को सौंपा और स्वयं साधना-पथ के पथिक बन गए।
सम्राट चंद्रप्रभ ने अपने जनपद का कुशलता से संचालन किया। उनके राज्यकाल में समृद्धि सदैव वृद्धिंगत रही। जनपद पहले से भी अधिक समृद्ध व बाहरी खतरों से निरापद बना रहा। दीक्षा
भोग्य कर्मों का भोग पूरा हो जाने पर भगवान् ने अपने पुत्र को उत्तराधिकार सौंपकर वर्षीदान दिया। दूर-दूर के लोग प्रभु के हाथ से दान देने के लिए आए। सांसारिक वैभव के उत्कर्ष में राजा चंद्रप्रभ के मन में उत्पन्न वैराग्य लोगों के लिए आश्चर्य का विषय था।
निर्धारित तिथि पौष कृष्णा त्रयोदशी के दिन एक हजार विरक्त व्यक्तियों के साथ राजा चंद्रप्रभ ने अणगार धर्म को स्वीकार किया। प्रभु के दीक्षा महोत्सव पर चौसठ इन्द्र एकत्रित हुए। भगवान् के उस दिन बेले की तपस्या थी। दूसरे दिन पद्मखंडनगर के राजा सोमदत्त के यहां परमान्न (खीर) से उन्होंने प्रथम पारणा किया।
तीन मास तक वे छद्मस्थ चर्या में विचरते रहे। नाना अभिग्रह तथा नाना