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९४/तीर्थकर चरित्र
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अप्रतिहत प्रभाव
भगवान् विमलनाथ के शासनकाल में मेरक प्रतिवासुदेव और स्वयंभू वासुदेव तथा भद्र बलदेव जैसे जननायक हुए थे। वे सभी भगवान् विमलनाथ के समवसरण में आते रहते थे।
उन पर भगवान् का अप्रतिहत प्रभाव था। बलदेव भद्र वासुदेव स्वयंभू की मृत्यु के बाद प्रभु के चरणों में दीक्षित हुए थे। निर्वाण ___ भव- विपाकी कर्मों की परिसमाप्ति समीप समझ कर इतनी ही अवधि की कर्म प्रकृति वाले छह हजार साधुओं सहित भगवान् ने सम्मेद शिखर पर आजीवन अनशन ग्रहण कर लिया। एक मास के अनशन में भव- विपाकी कर्मों के क्षय होने पर उन्होंने सिद्धत्व प्राप्त किया। चौसठ इन्द्रों ने मिलकर उनका निर्वाणोत्सव किया। प्रभु का परिवार
० गणधर ० केवलज्ञानी
५५०० ० मनः पर्यवज्ञानी
५५०० ० अवधिज्ञानी ० वैक्रिय लब्धिधारी
९००० ० चतुर्दश पूर्वी
११०० ० चर्चावादी
३२०० ० साधु
६८,००० ० साध्वी
१,००,८०० ० श्रावक
२,०८,००० ० श्राविका
४,२४,००० एक झलक० माता
श्यामा ० पिता
कृतवर्मा ० नगरी
कंपिलपुर ० वंश
इक्ष्वाकु ० गोत्र
काश्यप ० चिह्न
शूकर ० वर्ण
सुवर्ण ० शरीर की ऊंचाई
६० धनुष्य