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भगवान् श्री मल्लिनाथ/१२३
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निर्वाण
सुदीर्घकाल तक संघ की प्रभावना कर अन्त में पांच सौ आर्यिकाओं तथा पांच सौ भव्यात्मा मुनियों के साथ एक मास के आजीवन अनशन में अवशिष्ट कर्म प्रकृतियों को क्षय कर उन्होंने सिद्धत्व को प्राप्त किया।
दिगम्बर मान्यता में मल्लिनाथ को पुरुष माना गया है, क्योंकि उनकी मान्यता के अनुसार स्त्री को साधुत्व तथा की मोक्ष प्राप्ति नहीं होती। प्रभु का परिवार
० गणधर ० केवलज्ञानी
२२०० ० मनः पर्यवज्ञानी
१७५० ० अवधिज्ञानी
२२०० ० वैक्रिय लब्धिधारी
२९०० ० चतुर्दश पूर्वी
६६८ ० चर्चावादी
१४०० ० साधु
४०,००० ० साध्वी
५५,००० ० श्रावक
१,८३,००० ० श्राविका
३,७०,००० एक झलक0 माता
प्रभावती ० पिता
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कुंभ
० नगरी
मिथिला
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इक्ष्वाकु काश्यप
कुंभ
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० वंश ० गोत्र ० चिन्ह ० वर्ण ० शरीर की ऊंचाई ० यक्ष ० यक्षिणी ० कुमार काल ० राज्य काल ० छद्मस्थ काल
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नील २५ धनुष्य कुबेर धरणप्रिया १०० वर्ष
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नहीं
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१ प्रहर