Book Title: Swarup Sambodhan Parishilan
Author(s): Vishuddhasagar Acharya and Others
Publisher: Mahavir Digambar Jain Parmarthik Samstha
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स्वरूप-संबोधन-परिशीलन
श्लो . : 1
चाहिए। अक्षय अविनाशी परमात्मा पुनः संसार में नहीं आते। लोक में ऐसी मान्यता है कि जब धर्म की हानि होती है, असुरों की वृद्धि हो जाती है, तब परमात्मा मृत्युलोक में अवतरित होते हैं। ज्ञानियो! आचार्य भगवन् ने अक्षय पद से उक्त मिथ्याधारणा का उपशमन किया है। एक बार जीव द्रव्य शुद्ध होने पर पुनः अशुद्ध नहीं होता, पुद्गल द्रव्य तो शुद्ध होने पर पुनः अशुद्ध हो जाता है, आचार्य भगवन् समन्तभद्र स्वामी ने भी कहा है:
काले कल्पशतेऽपि च, गते शिवानां न विक्रिया लक्ष्या। उत्पादोऽपि यदि स्यात, त्रिलोक-संभ्रान्ति-करणपटुः ।।
-रत्नकरण्डकश्रावकाचार, श्लो. 133 . अर्थात् यदि तीनों जगत् में खलबली पैदा करने वाला उपद्रव भी हो, तो भी सैकड़ों कल्प-कालों के बीत जाने पर भी सिद्धों में कोई विकार दृष्टिगोचर नहीं होता। भव-भ्रमण का कारण कर्म था, जहाँ कर्म का नाश हो जाता है, वहाँ संसारपरिवर्तनों का नाश स्वयमेव हो जाता है। बीज अंकुरवत् हैं, बीज का नाश होते ही अंकुर का नाश तो स्वयमेव सिद्ध है।
दग्धे बीजे यथात्यन्तं प्रादुर्भवति नांकुरः।
कर्मबीजे तथा दग्धे न रोहति भवांकुरः ।। -तत्त्वार्थसार, 8/7 अर्थात् जिस प्रकार बीज के अत्यन्त जल जाने पर अंकुर उत्पन्न नहीं होता, उसी प्रकार कर्म-रूपी बीज के अत्यन्त जल जाने पर संसार-रूपी अंकुर उत्पन्न नहीं होता है। इस प्रकार परमात्मा के लिए प्रयुक्त 'अक्षय' विशेषण सार्थक है। ____ "परमात्मानं"-परम+आत्मा परमात्मा अथवा “परं उत्कृष्टं आत्मानम् अर्थात् पर यानी उत्कृष्ट आत्मा को, परा सर्वोत्कृष्ट पद को प्राप्त, 'मा' केवलज्ञानादि रूप अन्तरंग लक्ष्मी और समवसरण आदि विभूति-रूप बाह्य लक्ष्मी जिसके है, वह परमात्मा अर्थात् अर्हन्त भट्टारक या सिद्ध परमेष्ठी को "नमामि' नमस्कार करता हूँ, ज्ञान ही आकार है जिसका, ऐसे परमात्मा ज्ञानमर्ति हैं। ज्ञान आत्मा का धर्म है, धर्मी धर्म से भिन्न नहीं होता है, अतः परमात्मा गुण-रहित नहीं है, वे अनंत ज्ञानादि गुणों से युक्त हैं। मुक्ति के विषय में लोक में अनेक भ्रम हैं, कुछ-लोग आत्मा को सदा शुद्ध ही स्वीकारते हैं, कुछ अज्ञ-जन आत्मा को सर्वदा कर्म-सहित स्वीकारते हैं, -ऐसी एकान्त-मान्यता का यहाँ पर आचार्य महाराज ने बहुत ही मृदुल भाव से निरसन कर दिया है।