Book Title: Swarup Sambodhan Parishilan
Author(s): Vishuddhasagar Acharya and Others
Publisher: Mahavir Digambar Jain Parmarthik Samstha
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श्लो. : 11
स्वरूप-संबोधन-परिशीलन
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मनीषियो! आचार्य समन्तभद्र स्वामी ने बहुत ही सुन्दर बात कही है कि सम्यक्त्व के अभाव में सम्पूर्ण क्रियाएँ निर्गन्ध-पुष्पवत् समझनी चाहिए, बीज के अभाव में तरु-तुल्य हैं
विद्याव्रत्तस्य संभूति-स्थितिवृद्धिफलोदयाः। न सन्त्यसति सम्यक्त्वे बीजाभावे तरोरिव।।
-रत्नकरण्डश्रावकाचार, श्लो. 32 अर्थात् जिसतरह बीज के नहीं होने पर वृक्ष की उत्पत्ति, स्थिति, वृद्धि और फल की सम्प्राप्ति नहीं बनती, उसीप्रकार सम्यक्त्व के न होने पर सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र की उत्पत्ति, वृद्धि और फल की सम्प्राप्ति नहीं बनती।
ज्ञानियो! सम्यक्त्व अंक है, शेष गुण शून्य हैं, जैसे- अंक के अभाव में शून्य का क्या अर्थ है? ....उसीप्रकार सम्यक्त्व के अभाव में शेष गुणों की कोई कीमत नहीं है।
न सम्यक्त्वसमं किंचित्, त्रैकाल्ये त्रिजगत्यपि। श्रेयोऽश्रेयश्च मिथ्यात्वसमं नान्यत्तनूभृताम् ।।
-रत्नकरण्डश्रावकाचार, श्लो. 34 अर्थात् तीन कालों में तीनों लोकों में जीवों का सम्यक्त्व के समान कोई दूसरा उपकारक नहीं है और मिथ्यात्व के समान कोई दूसरा अनुपकारक नहीं है।
ज्ञानियो! इस भगवती आत्मा का जितना अहित मिथ्यात्व ने किया है, उतना क्रूर सिंह, अजगर, अग्नि आदि तीव्र कषायी जीवों ने भी नहीं किया है। कारण समझनापूर्वोक्त निमित्त तो शरीर के घातक मात्र हैं, आत्म-धर्म के घातक नहीं हैं, परन्तु मिथ्यात्व तो आत्मा के मुख्य गुण, जिसके ऊपर सम्पूर्ण मोक्ष-मार्ग का प्रासाद खड़ा है, ऐसे सम्यक्त्व का घात कर रहा है। पंचपरावर्तनों में अनादि से जिसके कारण भ्रमण चल रहा है, निज-लोक से अनादि से जिसने अपरिचित रखा है, वह तीव्र बैरी मिथ्यात्व ही है, जो-कि अनन्तानुबन्धी कषाय को अपना सहचर व मित्र बनाये हुए है। उसके बिना एक कदम भी नहीं रखता, स्वयं राज्य करता है, कषाय से कार्य कराता है, किस पर कब अपनी कालुष्य-सेना भेज दे, कोई समय ज्ञात नहीं है। कारण क्या है?... इस मिथ्यात्व का जो सहचर मित्र है, वह भी तीव्र क्रूर परिणाम है, इसके पास ऐसी कठोर बन्धन-सामग्री है, जो-कि जीव को अनन्त संसार में बाँध कर रखती है। भव्यो! मिथ्यात्व के मित्र पर कभी विश्वास तो किया नहीं जा सकता, कारण एक-मुखी नाग से तो पीछे से बचकर जाया जा सकता है, पर जिसके दोनों ओर मुख