Book Title: Swarup Sambodhan Parishilan
Author(s): Vishuddhasagar Acharya and Others
Publisher: Mahavir Digambar Jain Parmarthik Samstha

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Page 323
________________ आचार्य 108 श्री विशुद्धसागर जी महाराज संक्षिप्त जीवन-परिचय 18/12/1971 को संसार-पंक में राजेन्द्र नाम से मध्य प्रदेश के भिण्ड जिले के ग्राम रूर में पिता श्री रामनारायण व मातु श्री रत्तीबाई के घर उदभूत 21/11/1991 को आचार्य श्री विरागसागर जी से मुनि-दीक्षा 31/3/2007 को महावीर जयंती औरंगाबादमहाराष्ट्र में आचार्य-पद से अलंकृत आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी का जन्म यद्यपि मध्य प्रदेश के भिण्ड जिले के छोटे से गाँव में हुआ, पर अपनी आराधना और साधना के बल पर उन्होंने अध्यात्म-रस के सरोवर में गहरी डुबकी लगायी है और श्रमण-संस्कृति के पुरोधा प्रख्याता के रूप में वे स्थापित हुए हैं, जिसे उनकी निम्नांकित कृतियाँ प्रमाणित करती हैं कृतियाँ 1. शुद्धात्म-तरंगिणी 2. निजात्म-तरंगिणी 3. निजानुभव तरंगिणी 4. स्वानुभव-तरंगिणी 5. पंचशील-सिद्धांत 6. बोधि-संचय 7. आत्म बोध 8. प्रेक्षा-देशना 9. पुरुषार्थ-देशना 10. तत्त्व-देशना 11. अध्यात्म-देशना 12. इष्टोपदेश-भाष्य 13. समाधितन्त्र अनुशीलन 14. श्रमणधर्म-देशना 15. सर्वोदयी-देशना 16. अर्हत्-सूत्र 17. अमृत-बिन्दु 18. समय-देशना 19. शुद्धात्म-काव्यांजलि (भाग एक)

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