Book Title: Sutrakritanga Sutram Part 03
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ZPREP RUNREL ॥ श्री वीतरागाय नमः॥ श्री जैनाचार्य-जैनधर्मदिवाकर-पूज्यश्री घासीलालबतिविरचितया समयार्थबोधिन्याख्यया व्याख्यया समलङ्कतम् श्रीसूत्रकृताङ्गसूत्रम्॥ (तृतीयो भागः) ॥ अथ नवमं धर्माऽध्ययनं धारभ्यते ॥ गतमष्टममध्ययनम् । साम्प्रतं नवममायते । तत्राऽटमे वालपण्डितभेदाद द्विविधं वीर्य प्राप्तम् । तत्र सावधकर्मणोऽनुष्ठानविषयक प्रयत्नविशेषो बालवीयम् , धर्म प्रति क्रियमागः प्रयत्नः पण्डितवीर्यम् । इति नवमं धर्माध्ययनमाह'कयरे धम्मे' इत्यादि। मूलम् कयरे धम्मे अक्खाए माहणेणं मईमया। अंर्जु धम्मं जहा तंचं जिणाणं तं सुणेहै 'मे ॥१॥ छाया-कतरो धर्म आख्यातो माहनेन मतिमता।। ऋजु धर्म याथातथ्यं जिनानां तं शृणुत मे ॥१॥ नौवां धर्माध्ययन । आठवां अध्ययन पूर्ण हुआ, अथ नवम अध्ययन आरम्भ किया जाता है। आंठवें अध्ययन में पालवीर्य और पण्डितवीर्य के भेद से दो प्रकार का वीर्य कहा गया है। सावध कर्म के लिए किया जाने वाला प्रयत्न बालवीर्य और धर्मके लिए किया जानेवाला प्रयत्न पण्डितवीर्य कहा गया है। अत एव अब नौवां धर्म विषयक अध्ययन कहते हैं'कयरे धम्मे' इत्यादि। નવા અધ્યયનને પ્રારંભ આઠમું અધ્યયન પુરૂં થયું હવે નવમા અધ્યયનને પ્રારંભ કરવામાં આવે છે. આઠમા અધ્યયનમાં બાલવીર્ય અને પંડિત વયના ભેદથી બે પ્રકારનું વીર્ય કહેવામાં આવેલ છે, સાવદ્ય ક્રિયા માટે કરવામાં આવેલ પ્રયત્ન બાલવીય, અને ધર્મ માટે કરવામાં આવનાર પ્રયત્ન પંડિતવીર્ય કહેવાય છે તેથી હવે नपभु म सधी अध्ययन अपामा मावे छे. 'कयरे धम्मे' त्यात सू०१ For Private And Personal Use Only

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