Book Title: Sambodh Prakaranam
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha

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Page 33
________________ Jain Education national नियतणुसायनिमित्तं आहाकम्भं अणेसणिज्जं च । जो भुंजइ आयरिओ संजमकामीहिं मुत्तव्व ॥८८॥ जत्थय अज्जासंगी आयरिओ सव्वदव्वसंगहिओ । उम्मग्गपरुककरणो अणज्जमिच्छव्व मुत्तव्वो ॥८९॥ मूलगुणेहिं विमुक्कं विज्जाकलियं पि लद्धिसंलिद्धं । उत्तम कुले वि जायं निद्वाडिज्जइ तयं गच्छं ॥ ९० ॥ वत्थोवगरणपत्ताइ दव्वं नियनिस्सएण संगहियं । गिहिगेहंमि य जेसि ते किणिणो जाण न हु मुणिणो ॥ ९१ ॥ जे पवयां भणित्ता गिहिपुरओ कंखए धणं ताओ । ते णाणविक्किणो पुण मिच्छत्तपरा न ते मुणिणो ॥ ९२ ॥ अप्पावराहठ्ठाणे कुव्वंति सदप्पओ महादंडं । तं धूमधामगहियं सप्पुव्व सया विवज्जिज्जा ॥ ९३ ॥ धूमं पर्यडकोहणसीलं सुविहियपओससंजणियं । नियआणाभंगेण य करंति फग्गुप्पगिठ्ठगुणं ॥ ९४ ॥ धामंगारवर सियं नियपूयामाणसमुद्दउक्करिसं | लोगववहारदंसणगव्वेण गुणाण निक्करणं ॥ ९५ ॥ जह सीसाइनिकितइ कोइ सरणागयाण जीवाण । तह गच्छमसारंतो गुरू वि सुत्ते जओ भणिओ ॥ ९६ ॥ उम्मग्गमि पविट्टो उम्मग्गपरूवओ सहायकरो । सुविहियजणपडिकूलो आयरिओ वि तहा जाण ॥ ९७ ॥ जे लोइयकज्जरया धणठ्ठिणो भत्तलोयकयथुणणा । सुविहियजणाण अहिया ते पासंडा कुसीला य ॥ ९८ ॥ अगीयत्यकुसीलेहि संग तिविहेण वोसिरे । मुख्कमग्गम्मि मे विग्धं पहंमी तेणगं जहा ॥ ९९ ॥ आयरियप्पमुहा ये एयारिच्छाय हुंति जत्थ गणे । किंपामफलयसरिसो संजमकामीहिं मुत्तव्वो ॥१००॥ वरं वाही वरं मच्चू वरं दारिदसंगमो । वारं अरण्णे वासो य मा कुसीलाण संगमो ॥ १०१ ॥ या विवरं मां कुसीलाणसंगमों भद्दे । जम्हा हीणो अप्पं नासइ सव्यं ह सीलनिहि ॥ १०२ ॥ For Private & Personal Use Only helibrary.org

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