Book Title: Sambodh Prakaranam
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha

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Page 42
________________ प्रकरण: संबोध ॥२०॥ सन्नीणं दसपाणा एगूणाऽसण्णिचउतिदु एगिदिए चउरो। चउपालीसं पाणा रस्कतो होइ चारित्ती ॥४४॥ भूजलजलणानिलवण घितिचउर पणिदि अजीवे य१०। . पेहु ११ प्पेह १२ पमज्जण १३-परिठ १४ मणतिय १७ असंजमं चयइ ॥४५॥ पंचमहव्वयधरणं ५ कसायचऊ ४ पंचइंदियनिरोहो५ । गुत्तितियं ३ इइ संजम सत्तरस भेया हवा बिति ॥४६॥ एवं पढममहव्वय-मणेगहा पालए जहा जीवं । मरणंते वि न पीडा करेइ मणसा तयं गच्छं ॥४७॥ संकप्पाइतिएणं मणमाईहिं तहेव करणेहिं । कोहाइचउक्केण परिणामढ़त्तरसयं च ॥४८॥ . भासइ न सयमसच्चं न य अण्णं भासवे समाजाणे । दव्वाइचउक्केण वि जावज्जीवं खु ते मुणिणो ॥४९॥ चउरो भासा सच्चा १ मुसा २ य सच्चामुसा ३ असचमुसा ४ । तत्थ न दो भासिज्जा पढमचउत्थी य भासिज्जा ॥५०॥ कारणजाए चउरो वि परं खु भूओवधायिणी नेव । सच्चा वि न वत्तव्वा घायकरी संजमप्पाणं ॥५१॥ जणवय १ सम्मय २ ठवणा ३ नामे ४ रूवे ५ पडच्च ६ ववहारे भावे ८ जोगे ९उवम्मसच्चे १० सच्चा भवे दसहा॥५२॥ कोह १ माण २ माया ३ लोह ४-पेज्ज ५ तह दोस ६ हास ७ भी ८ अभरूकाइ ९। उवघाइयाओ १० दसमा मोसा भासा न बत्तव्वा ॥५३॥ उम्पण्ण १ विगय २ मीसग ३-जीवा ४ जीवे ५ अ उभयभिस्सा य ६। मिस्साणंत ७ परित्ता ८-अद्धा ९ अद्धद्ध १० सञ्चमुसा ॥ ५४॥ आमंतणि १ आणवणी २ जायणी३ पुच्छणीय ४पन्नवणी ५। पञ्चलकाणी ६इच्छा-णुलोमभासा ७अणभिग्गहिया८॥५५॥ ॥२०॥ Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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