Book Title: Sambodh Prakaranam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha
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भावगयाई सतरस मुणिणो एयस्स बिति लिंगाई । जाणिय जिणमयसारा समयन्नूणो जओ आहु ॥७४॥
इत्थि १ दिय २ त्थ ३ संसार ४ विसय ५ आरंभ ६ गेह ७ दंसणओ८।
गडरिगाइं पवाहे ९ पुरस्सर आगम पवित्ती १० ॥ ७५ ॥ दाणाइ जहा सत्ती पवत्तणं ११ विहिर १२ रत्तदुठाई १३ । मझत्थ १४ मसंबद्धे १५ परत्थकामी अभोगी य १६॥७६॥ बेसाइव गिहवासं पालइ १७ सत्तरस गुण निबद्धंतु । भावगयभावसावग लरकणमेयं समासेण ॥७७॥ एयस्स य लिंगाई सयला मग्गाणुसारिणी किरिया १ । सद्धा पवरा धम्मे २ पण्णवणिज्जत्तमुज्जुभवा ३ ॥७८॥ किरियासु अप्पमाओ ४ आरंभो सक्कणिज्जणुठाणा ५ । गुरुओ गुणाणुराओ ६ गुरुआणाराहणं परमं ७ ॥७९॥ लद्धं दंसणरयणं जे निमित्तं तं बहु समन्नेइ । परदोसाण पलोए भावइ न कम्मसंवायं ॥८॥ थिरकरणतं धम्मे सिढिलाणं मुच्छमुद्धजीवाणं । इच्चाइयलिंगाई भावसढुस्स वुत्ताइ ॥८१॥ नहु अप्पणा पराया साहूणो सुविहिया य सढाणं । अगुणेसुय नियमावं कयावि कुब्वंति गुणिसदा ॥ ८२ ॥ प्रणामंगलपडिक्कमणसक्कथयनामचेइसुयसिद्धा । एसि तवोवहाणाइ विहिजुत्तो संभवे तत्थ ॥८३॥ इंदियजोयकसायविजयतबाईण करणसवरओ । पडिमाभिग्गहधारी तत्थ सया जहक्कम हुज्जा ॥८४॥ वयपडिमाण विसेसो को इत्थ हविज सीसजणपुच्छा । अन्न १ सहस्सा २ गाराविणा निरालंबणा पडिमा ॥८५॥ रायाइपयसमेओ बहुविहमेएहि हुज्जवय धम्मो । सागारजहागहिओ पडिमा पुण मेयभिण्णाणो ॥८६॥ वह कहवि एमवारं हविज रायाइपयसमालंबो। तो पविजइ चरणं पुण करणं अणसणं खु जहा ॥८॥
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