Book Title: Sambodh Prakaranam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha
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संबोध ॥४०॥
दसण १ वय २ सामाइय ३ पोसह ४ पडिमा ५ अर्बम ६ सचित्ते ७
आरंभ ८ पेस ९ उद्दिष्ठवज्जए १० समणए य ११॥ ८८॥ जस्संखा जा पडिमा तस्संखा तीइ हुंति मासा वि । कीरंतिसु वि कज्जाओ तासु पुब्बुत्तकिरियाओ ॥८९॥ पसमाइगुणविसुद्धं कुग्गहसंकाइसल्लपरिहीणं । सम्मइंसणमणहं दंसणपडिमा हवइ पढमा ॥९॥ एया- खलु एक्कारस गुणठाणगभेयओ मुणेयव्वा । समणोवासगपडिमा बज्झाणुट्ठाणलिंगेहि ॥९१॥ जम्हा दंसणपमुहाण कज्जमुपत्तिकायकिरियाइ । सम्म लरिकज्जइ तिवेलपूयाओ पढम पडिमा ॥१२॥ सुस्सूस धम्मराओ गुरूण देवाणं जहा समाहियं । वेयावच्चे नियमो दंसणपडिमा भवे एसा ॥१३॥ वावन्नदंसणाणं निन्हयहाछंदकुग्गहहयाणं । मणसावि न वंदंति य दंसणपडिमाठिया सदा ॥९४॥ बीयाणुव्वयधारी सामाइयकडो हविज्ज तइयाए । होइ चउत्थी चउद्दसीअट्टमाईसु दियहेसु ॥९५॥ पोसहवउविहं पी पडिपुन्नं सम्म सो य अणुपाले । बंधाइअइयारे पइन्नओ वज्जमाईसु ॥१६॥ पोसहकिरियाकरणं पव्वेसु चउसु तहा सुपरिसुद्धं । जइ भवभावपसाहग मणहं तह पोसहप्पडिमा ॥९॥ असिणाण वियडभोई मोलियडो दिवसबंभयारी य । रत्तिपरिमाणकडो पडिमावज्जेसु दिवसेसु ॥९८॥ चउदिसि काउसग्ग-प्पडिमाकरणं तु इह भवे पडिमा । पुव्वुत्तसयलकिरियाजुत्तो वा जावपणमासा ॥९९॥ एवं किरियाजुत्तो बंभं वज्जेइ नवरि राई पि । छम्मासावहि नियमा एसा हु अचंभपडिमत्ति ॥१०॥ सिंगारकहाविभूसुक्करिसं इत्यीकहंमि वजंतो। चयइ अबंभमेग-तओ य छठीइ छम्मासे ॥१०१॥
यो चउद्दसीजमाईसु । पडिमा ॥९॥
॥४॥
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