Book Title: Sambodh Prakaranam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha
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दरको संवरसीलो रिजुभावो दाणसीलगुणकुसलो । धम्मंमि होइ बुद्धी अरूसणो तेउलेसा ॥ १४ ॥ सत्तणुकंपो य थिरो दाणं खलु देई सव्वजीवाणं । अइकुसलबुद्धिमंतो धिइमंतो पहलेसा ॥ १५ ॥ धम्मंमि होइ बुद्धी पावं वज्जेइ सव्वकज्जेसु । आरंभेसु न रज्जइ अपरकवाई य सुक्का ||१६|| हाई व्वजोयण फलिहस्सिव अप्पणो यं परिणामो । जायइ कज्जपवित्ती दव्वओ सा भवे लेसा ॥ १७॥ परिणाम सव्वत्थ वि जायइ समत्तकज्जसंपत्ती । सा या भावलेसा कम्मनिस्संदरूवा य ॥ १८ ॥ लेसाणं परिणामा तिगनवइगसीइदुसयतेयालं । बहुं वा बहुविहं वा हुंति य जा सुक्कलेसाओ ॥१९॥ पत्तेयं लेसाओ अणतवग्गणमईओ पण्णत्ता । तहाणंतासंखिज्जप्पएसगाढाओ सव्वाओ ॥२०॥ अज्झवसायड्डाणाणि तासिं संखाइयाणि सव्वासिं । खित्तओ असंखलोगा-गाससमाणिप्पमत्ताइ ॥ २१ ॥ असंखिज्जाण उस्सप्पिणीण वस्सप्पिणीण जे समया । संखाईया लोगा लेस्साणं हुंति ठाणाई ॥२२॥ जोगगयदव्वलेसा के वि भांति जावजोगीणं । तो ण अजोगित्ते वि हु नज्जइ ता जुत्तिवयणमिणं ॥ २३ ॥ ता न कसायसहाया लेसा जम्हा अणण्णवत्तिरया । जुज्जइ अकसायाणं कसायसंदीवणे तासि ॥२४॥ जइ लेसा निस्संदो कम्माणं ता हविज्ज केसिं वा । जइयाइ कम्मजणिया ता केवलिणं न जुज्जइ य ॥ २५ ॥ जइ भव कम्मनिरुद्धा न भवे ताऽजोगकेवलीणं च । जम्हा लेसाईंयं सुक्कझाणं चउत्थं जं ॥ २६ ॥ लिसा कसाय पुट्ठि - कारया परमाणुभागाण बंधहेऊ य। ठिइमणुभागं कसाया पर्यडिपएसाण जोगा य ॥२७॥ कम्मसहचारिकारिण अणुभागगुणस्स हेउणो भणिया । लेसाण सव्वमेवप्पयारविन्नाण उद्दिहं ॥ २८ ॥
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