Book Title: Sambodh Prakaranam
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha

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Page 46
________________ संबोध ॥२२॥ अकृविहा गणिसंपय आयाराई-चउविहि विकी। चउहा विणयपवित्ती छत्तीसगुणा इमे गुरुणो (३) ॥१८॥ सम्मत्तनाणचरणा पत्तेयं अअमेइल्ला । बारस भेओ य तवो सूरिगुणा हुंति छत्तीस (४) ॥९९॥ आयाराइ अकृओ तह चेव य दसविहो ठिइकप्पो । बारस तक छावस्सय सूरिगुणा हुँति छत्तीस (५) ॥१०॥ अठदसपावठाणेहि पडिचत्तो बारभिरूकुपडिमधरो । छव्वयरख्कणधीरो सूरिगुणा हुँति छत्तीस (६) ॥१०१॥ दुगवीसपरिसहसहो चऊदसभूयगामरख्कणपरो य । छत्तीसं सूरिगुणा एए भणिया जिणिदेहि (७) ॥१०२॥ चउक्कं सारणसिकाइ ४ दाणाइ धम्म ४ झाणमिक्किकं । चउमेयं १६ बारभावण १२ उवएस परो य छत्तीसे (८)॥१०॥ चरण ५ वय ५ समिइ ५ आयार ५ सम्मत्त ५ सझाय ५पंच ववहारा ५। संवेगिक १ अलंकिय-देहो छत्तीस गुणकलिओ (९)॥१०४॥ इंदिय ५ विसय ५पमाया ५-सव ५ निदा ५ दुठभावणा ५ चत्तो। छज्जीवकायजयणा-निरओ ६ छत्तीसगुणकलिओ (१०) ॥१०५॥ लेसा ६ वस्सय ६ दव्वाणि ६वयण ६ दोसा ६ तहा य छप्भासा ६ नागगुणेण सुगेड एवं छत्तीसगुणकलिओ (११)॥१०६ पिंडेसण ७ पाणेसण ७ भय ७ सुह ७ सत्ताइ अठ्ठमयठाणा ८ । एवं छत्तीसगुणा सूरीणं हुंति सव्वद्धा (१२) ॥१०॥ दंसणनाणचरित्ता-याराइयार अयं अठ्ठ । गुरुगुणजुत्ता चउसुद्धि-कलिओ ४ छत्तीसगुणजुत्तो(१३) ॥१०८॥ अटुंगजोग ८ अडसिद्धी ८ अडदिछी ८ अठ्ठकम्म८ विनाणो। दवाइचउअणुओग-धरो ४ गुणा हुंति छत्तीस (१४)॥१०९॥ नवपावनियाणाइ ९-वारओ नवविहा य बंभधरो ९ । कयनवकप्प विहारो ९ नवतत्त ९ छत्तीसगुओ (१५) ॥११॥ २२॥ Jain Education Welational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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