Book Title: Sambodh Prakaranam
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha

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Page 51
________________ HEALYAN छक्कारस अंगाइ ११ चऊइस पुष्वाई १४ जो अहिजेइ । अझावेइ परेसिं पणवीसगुणो उवझाओ (१)॥१६॥ इक्कारसंगधारी ११ बारउवंगाणि १२ जो अहिज्जेइ । तह चरण १ करण १ सत्तरी धरावइ धरइ पणवीस (२)॥१८॥ नाणसासायण चउ-दसावि १४ न करेइ न कारवेइ परेसिं। इक्कारस सुवण्णगुणा ११ वस्काणइ एवं पणवीस(३)॥१६९॥ तेरस किरिया ठाणाणि १३ दवछक्कं ६च कायछक्कं ६च(४)। चऊदस गुणठाणाणि१४पडिमा सट्टाण इक्कार ११(५)॥१७०॥ पंचमहव्वयपणवीसभावणाओ धरिजइ सयावि (६)। तह असुहभावणाओ पणवीसं चयइ चाएइ (७) ॥११॥ अड ८ सतरमेयपूजा १७ परूवइ पण्णवीयभासाहि (८)। चउहा पडिवत्तीए ४ पूयामेयावि इगवीसं २१ (९)॥१७२॥ इंदियत्थाण वीसं तिगसहियं २३ सुह १ अशुह १ रागदोसेणं । नो गिण्हइ पणवीस गुणा इमे वायगाणं च(१०)॥१७३॥ इगवीसं खलु भेया भिच्छत्तस्स य परूवणा तेसिं । चउविह संघे कीरइ पणवीसं वायए निच्च (११) ॥१७॥ भूयग्गामा चऊदस १४ अडभंगीमुणणधरणपालणया ८। अंगग्गभावपूयामेयतियं ३ होइ पणवीस (१२)॥१७५॥ तहणंत ८ पुग्गलपरियट्टाणं८ अडअड नवनियाणाई ९(१३) तत्त नव ९खित्तनवगं ९नयसत्तगमेवपणवीसं(१४)॥१७६॥ निस्केवा ४ अणुओगा ४ धम्मकहा ४ विकह ४ दाणधम्माइ४। चउरो पण ५कारण-मेव गुणा हुंतिपणवीस (१५)॥१७७॥ नाण ५ ववहार ५ सम्म ५ पवयण अंगाणि ५ तह पमायाय ५। पणपणगं पणवीसं परूवई वायगस्स गुणा(१६)॥१८॥ बारसवय १२ रुइदसगं १० विहिवायतियं ३ च होइ पणवीसं (१७)। हिंसा ३ऽहिंसाणतियं ३ उस्सग्गदोसाण गुणवीसं १९ (१८)॥ १७९ ॥ आयापवयणमायामयहाणाणित्ति अडलिग २४. सद्धा? । एवं पणवीसगुणा. (१९) सढाण गुणा य इगवीसं २१ ॥१८॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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