Book Title: Sambodh Prakaranam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha
View full book text
________________
भावे ३४ परिणाम ३५ खलु अप्पाबहुयं ३६ नियंठाण ॥ २६६ ॥ (पंचनिग्रंथसंयमानां द्वारगाथाः) सव्वे वि य अइयारा संजलणाणं तु उदयओ टुति । मूलच्छिज्जं उदये पुण बारसण्हं कसायाणं ॥२६७॥ सोलस उग्गमदोसा १६ सोलस उप्पायणाइ जे दोसा १६। दस एसणाइ दोसा १० गासेपण५ मिलिय सगयाला ४७॥२६८॥ आहाकम्मुद्देसियपूइयकम्मे य मीसज़ाए य । ठवणा पाहुडियाए पाउयरकीयपामिच्चे ॥२६९॥ परियट्टिय अभिहटु भिण्णे मालोहडे य अच्छिज्जे । अणिसिटिझोयरए सोलस पिंडग्गमे दोसा ॥२७॥ धाइदूई निभित्ते आजीजवणिमगे तिगिच्छा य । कोहे माणे माया लोहे य हवंति दस एए ॥२७॥ पुविपच्छासंथवविज्जामंते य चुण्णजोगो य । उप्पायणा य दोसा सोलसमे मूलकम्मे य ॥२७२॥ संकियमरिकयनिरिकत्त-पिहियसाहरियदायगुम्मोस्सं । अपरिणयलित्तछडिय एसणदोसा दस हवंति ॥२७३॥ संजोयणा पमाणे इंगालसधूमकारणे चेव । उवगरणभत्तपाणे सबाहिरभंतरा पढमा ॥२७४॥ वेयणवेयावच्चं इरियट्ठाणे य संजमाणे । तहपाणवत्तियाए छटुं पुण धम्मचिंताए ॥२७५॥ आयंके उवसग्गे तितिरकया बंभचेरगुत्तीसु । पाणिदया तवहेउ सरीरवुच्छेयणठाए ॥२७६॥ संसठ्ठमसंसठ्ठा उद्धड तह अप्पले विया चेव । उग्गहिया पग्गहिया उझियधम्मा य सत्तमिया ॥२७७॥ पिंडेसणो उ सत्त पाणेसणाओ वि सत्त एया वि । चउत्थीए नाणत्तं सोवीरमलेवडाइजलं ।।२७८॥ वाणउइसयं पिंडे-सणाइदोसाण वजिऊण सया । जो गिण्हइ अगेहीओ पिंडं परिभुंजए साहू ॥२७९।। इज्जूगंतु १ पञ्चागई अगोमुत्तिया ३ पयंगविही ४ । पेडा य ५ अद्धपेडा ६ अम्भितर ७ बाहिसंवृक्का ८ ॥२८०॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130