Book Title: Sambodh Prakaranam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha
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दव्वाइचउक्केहि जाणगमाईहि सव्वमेएहिं । जहभावं पडिवज्जिय पञ्चरकाणाइकज्जो य ॥१४॥ सब्बोवहाणनिरओ विहिपडिपुण्णो य सबकज्जेसु । जिणधम्मं परम, सेसमण8 मुणेइ सया ॥१५॥ अरिहंताइपयदससु भत्तिपुव्वं खु संसणिरविरकं । पञ्चरकाणं किंचि होइ णियपरमुभयगाणं ॥१६॥ कुलगणसंघपय; सागारं जइ हविज्ज तो कुज्जा । निरगारपच्चरकाणेवि अरिहंताईणमुझित्था ॥१७॥ अरिहंतसिद्धचेइयसुए य धम्मे य साहुवग्गे य । आयरियउवझाया पवयणे दंसणे दसगं ॥१८॥ अरिहंता विहरंता चउक्कनिरकेवयाइसंजुत्ता । सिद्धा कम्मविमुक्का चेइयपासायपडिमा वा ॥१९॥ सामाइयमाइसुयं धम्मो चारित्तधम्मपरिणामे । तस्साहारो साहू वग्गोत्त दुहणणठ्ठा ॥२०॥ आयरिया तह वायग विसेसगुणसंपयाइसयजुत्ता। पवयणसमओ संघो दंसणमिह मिच्छपडिकूलं ॥२१॥ जइ वि हु सावज्ज हेऊहिं तहवि निरवज्जमणणुबंधपरं । नहु होइ तयठं खलु पच्चरकाणं सुसवाणं ॥२२॥ सारंभं सावज्जाणुबंधयं सव्वहा ण कायव्वं । तप्पच्चइयं णेयं पच्चरकाणं सुसढाणं ॥२३॥ गिहिवावारपरम्मुह सच्चित्ता-बंभचाइणो जइवि । तह वि हु पयदसयस्स य भत्तिपराणं निरणुबंध॥२४॥ कुलगणपभिइपएसु भयणा सागारमियर जयणाओ । कज्जाकज्जविसेसं लाहालाहं तहा नचा ॥२५॥ नामाइचउम्मेया सट्टा तह नामठवणओ सुगमा । इगवीसगुणसमेओ दब्वे समओ जिणमयस्स ॥२६॥ संतो दंतो धीरो असढन्जु परहियत्थकारी य । अविहिवाई उदत्तो अवंचणो पावभीरू य ॥२७॥ सद्धालूओ वियन्नू पइण्णवाई अणिंदसुपरिरको । अत्तगुणमि सुलद्ध-लरको हु परमसमए ॥२८॥
BIRUGARRE***
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