Book Title: Sambodh Prakaranam
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha

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Page 52
________________ संबोध चउरो वित्तिपवत्तण-मिइ पणवीस (२०) अतत्त ३ तत्ततिगं३। गारव ३ सल्ल ३ छलेसा ६ दंडतिगं ३ कारणचउक्कं ४ (२१)॥१८१॥ अरिहंतज्जणठाणा वीसं २० आयारपणग ५ पणवीसं (२२)। अरिहंतसिद्धगुणया बारस १२ अड ८ भत्तिएगत्तं (पणगत्तं ५) (२३) ॥१८२॥ सिद्धा पन्नरस भेया १५ दसतिग १० सहिया हवंति पणवीस (२४)। आगार सोलसत्ति १६ नवहा संसारिणो जीवा ९ (२५) ॥१८३॥ असणाईण दोसा दसग उप्पायणस्स सोलसगं (२६) । एवं पणवीसीओ हवंति तह वायगगुणाणं ॥ १८४॥ इच्चाईगुणकलिओ विसुद्धजिणमयपरूवणाकुसलो । नयनिउणोबझाओ परमप्पाणं वियावेइ ॥१८५॥ सम्मत्तनाणसंजम-जुत्तो सुत्तत्थतदुभयविहिण्णू । आयरियठाणजुग्गो सुत्तं वाए उवझाओ ॥ १८६ ॥ थिरसंघयणी जाइ-विसिठ्ठकुलवं जिइंदिओ भद्दो। नोहीणअंगुवंगो नीरोगी वायणादरको ॥१८॥ गुरुदत्तपरममतो दिरकोवठ्ठावणापइठ्ठासु । दरको लरकगुणेहिं संजुओ वायगो भणिओ ॥१८८॥ थिरकरणा पुण थेरो पवित्तिवावारिएसु कज्जेसु । जो जत्थ सीयइ जई संतबलो तं थिरं कुणइ ॥ १८९॥ सम्मत्तनाणचरणा-इसु वत्थाईसु तह विहारेसु । सब्वेसु सहायत्तं किच्चा संजमथिरो कुणइ ॥१९०॥ तवसंजमजोगेसु जो जोगो तत्थ तं पवत्तेइ । असुहं च निवत्तेइ गणतत्तिल्लो पवित्तीओ॥१९१॥ संघस्सावि पवत्तइ आयरियाईहि जुजिओ संतो। बच्छल्लपभावणाइसु महत्तकारी पवित्तीओ ॥ १९२॥. समय Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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