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उपकेशगच्छ - परिचय |
समय वहाँ ६०,००० घरों के निवासियों को आपने अहिंसा के सदोपदेशद्वारा जैनी बनाया । आपका यह असीम उपकार हमारे लिये गूँगेकागुड़ है । इसी प्रकार आपने अपनी असाधारण प्रतिभा के प्रभाव से पद्मावती नगर के राजा पदमसेन को ४५००० घरों की जनता सहित अहिंसा धर्म का परमोपासक बनाया ।
आपके पट्टपर प्रातःस्मरणीय आचार्य श्रीरत्नप्रभसूरि हुए । ऐसा कोई विरला ही जैनी होगा जो आपके शुभ नाम और कार्यों से परिचित न हो । आपने असीम वाधाओं को पराजित कर मरुभूमि - स्थित उपकेशपुर नगर में पधारकर ऊपलदेव राजा को ३,८४,००० गृहों के निवासियों सहित प्रबोध देकर जैनधर्माबलम्बी बनाया। यह प्रतिबोधित जन समाज बाद में ' महाजन संघ' नाम से प्रख्यात हुआ । आपके पीछे पट्टधर आचार्य श्री येतदेवसूरि हुए जिन्होंने राजगृही नगर में उपद्रव मचाते हुए यक्ष को प्रतिबोध देकर संघ को संकट से बचाया । पहले आपने मगध, अंग, बंग और कलिङ्ग आदि प्रान्तों में विहार कर सवालक्ष नये जैनी बनाए तत् पश्चात् आप मरुभूमि सदृश दुर्गम क्षेत्रमें पर्यटन करते हुए नये नये जैनी बनाते हुए सिन्धप्रान्त की ओर पधारे और सिन्ध समाट् रुद्राट्र और राजकुँअर कक्क को उपदेश देकर जैनी बनाया । इस प्रकार सिन्धप्रान्त में जैनधर्म-प्रचार का अधिकतर श्रेय आपही को है ।
१ देखिये - जैन जाति - महोदय - प्रकरण तृतीय पृष्ठ ४० से ४९ तक
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पचम
१ से ५२ तक
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