________________
KarmanaTALAngraat
My AIRTem.whythinensivnikBRARA
M
MOMENSATTAWAHITree
समरसिंह की उत्कंठा उत्पन्न हुई। देसलशाहने संघ सहित गिरिराज की पूजा की । जयंत की तरह पिता के कार्य में सहायक रहने वाले हमारे चरितनायकने इस अवसर पर संघ को मिष्टान्न भोजन देने की व्यवस्था सफलतापूर्वक सम्पादन की । तिर्थाधिराज पुनीत पुण्डरिक गिरि को टकटकी लगा कर दर्शन कर हमारे चरितनायकने याचकों को महादान अर्पण किये।
दूसरे ही दिन तीर्थपति के दर्शन करने की उत्सुकता से प्रयाण कर संघ शत्रुजय गिरि के निकट पहुंचा। वस्तुपाल की धर्मपत्नी श्री ललितादेवी के बनवाए हुए रम्य सरोवर के कूल पर हमारे चरितनायकने संघ को ठहराया इस सरोवर की शोभा संघ के निवास से कई गुणा बढ़ गई।
जब कि संघपति देसलशाह विमलाचल पर्वत पर नहीं चढ़े थे उस समय खंभात नगर से आए हुए बधाई देनेवाले मनुष्योंने कहा कि देवगिरि (दौलताबाद ) से सहजपाल और खंभात से साहणशाह संघ ले कर पधार रहे हैं । यह समाचार सुन कर हमारे चरितनायक संघप्रेम और भ्रातृभक्ति के कारण बहुत हर्षित हुए । यह संवाद सुन कर समरसिंह आनन्दमग्न हो गये। उल्लास से उत्सुकतापूर्वक अपने भाइयों का स्वागत करने के लिये एक योजन संघ सहित अगवानी के लिये गये । भाइयों से भेट हुई। परस्पर प्रेमालाप हुआ । ऐसी दृढ़ भक्ति देख कर दर्शक आश्चर्य सागर में गोते लगाने लगे। दोनों पाए हुए भाई भी अपने भाई की इस साहस भरी प्रवृत्ति को