Book Title: Samar Sinh
Author(s): Gyansundar
Publisher: Jain Aetihasik Gyanbhandar
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ર૦૦
समरसिंह
समरसिंह की जीवनी पर विशेष प्रकाश डालते हैं अतः यहाँ पावश्यक समझकर उद्धत किये जाते हैं
॥ संवत् १३७१ वर्षे माह शुदि १४ सोमे श्रीमदूपकेशवंशे वेसट गोत्रीय सा० सलखण पुत्र सा० आजडतनय सा० गोसलभार्या गुणमतीकुक्षिसम्भवेन संघपति आसाधरानुजेन सा० लूणसीहामजेन संघपतिसाधुश्रीदेसलेनपुत्र सा० सहजपाल सा० साहणपाल सा० समर सा० सांगणप्रमुखकुटुंबसमुदायोपेतेन निजकुल देवीश्रीसामंत सा० सञ्चिकामूर्तिः करिता । यावद् व्योग्नि चन्द्रार्की यावन्मेहमहीतले । तावत् श्री सच्चिकामूर्ति.....
॥ संवत् १३७१ वर्षे माहसुदि १४ सोमे श्रीमद् केशवंशे वेसटगोत्रे सा० सलषणपुत्र सा० आजडतनय सा० गोसलभार्यागुणमतीकुक्षिसमुत्पन्नेन संघपति सा० आशाधरानुजेन सा० लुणसीहाग्रजेन संघपतिसाधुश्रीदेसलेन सा० सहजपाल सा० साहणपाल सा. सामंत सा० समरसीह सा० सांगण सा० सोमप्रभृतिकुटुंबसमुदायोपेतेन वृद्धभ्रातृसंघपतिआसाधरमूर्तिः श्रेष्ठिमाढलपुत्री संघ० रलश्रीमूर्तिसमन्विता कारिता । आसाधरः कल्पतर ............युगादिदेवं प्रणमति ।।

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