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उपकेशगच्छ - परिचय |
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कदपने इस की यह बात सहर्ष स्वीकृत कर ली । ब्रह्मदेवने भी अपनी सक्त्यानुसार द्रव्य व्यय कर पुण्य उपार्जन किया ।
आचार्यश्री के शिष्य समुदाय में जम्बूनाग नामक मुनि प्रखर बुद्धिवाला था । वह ज्योतिषविद्या में विशेष पारंगत था । उम्र को सर्वतायोग्य समझ कर आचार्यने महतर पद प्रदान किया । एकवार जम्बूनाग कई मुनियो सहित लोद्रवपुर नगर में गये । वहाँपर ब्राह्मणों की प्राबल्यता थी । यद्यपि उस नगर में जैनियों की बस्ती ही अधिकांश थी तथापि ब्राह्मणों के तात्कालीन अत्याचार के कारण जैनी अपनी इच्छा होते हुए भी जिन-मन्दिर नहीं बनवा शकते थे । इन के आगमन होनेपर श्रावकोंने अपनी कष्टकहानी कही । जम्बूनागने अपने शास्त्रार्थ के बल से ब्राह्मणों को "पराजित कर उन्हें नतमस्तक किये । शास्त्रार्थ का विषय भी बहुत सोच समझ कर चुना गया था । विषय ज्योतिष का था जिस में कि जम्बूनाग मुनि विशेषेज्ञ ही थे । ब्राह्मणोंने राजा के वर्षफल का सार प्रतिदिन का अलग अलग लिखा तो जम्बूनाग मुनिने प्रत्येक घडी का फल लिख कर दे दिया । इन की लिखी हुई बातें बावन तोला पावस्ती सिद्ध हुई ।
राजाने जमीन दे कर जिनमन्दिर बनवाया और उस की प्रतिष्ठा जम्बूनाग मुनि द्वारा करवाई । इसी प्रकार अनेक राजा महाराजाओं को शाखार्थ का चमत्कार दिखला कर आपने जिनशासन की कीर्त्तिपताका चहुँ ओर फहराई ।