Book Title: Pruthvichandra Gunsagar Charitra
Author(s): Raivatchandravijay
Publisher: Padmashree Marketing

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Page 25
________________ दुःख से कुमार चिंतित हुआ। मंत्री के सामने देखते हुए, बीच-बीच में अटकते शब्दों से राजा कहने लगा-सु... सु... सुंदर! तुम अकेले क..क..कहाँ से आये हो? तु...तु... तुझे कु...कु...कुशल है? तेरा स..स... स्वागत है। तब कमलसेन सोचने लगा-अहो! ऐसा गुणीपुरुष भी जीभ की जडता से क्यों दुःखित है? और क्यों नमस्कार करने से रोका? उतने में ही मंत्री राजा से कहने लगा-स्वामी! राजपुत्र थक गया है और आप भी थक चुके हैं। अब हमें नगरी में प्रवेश करना चाहिए। देव को जो इष्ट है, उस कार्य को यह कुमार दोनों प्रकार से भी कर देगा। बाद में वे सभी चंपापुरी चले गये। मंत्री ने कमलसेन को अपने महल में ले गया। कुमार ने स्नान, भोजन आदि किये। पश्चात् कुमार को सुखासन पर बिठाकर, मंत्री उससे उद्देशकर कहने लगा-हे परोपकार करने में तत्पर कुमार! तुम मेरी बात सावधान होकर सुनो। करुणा कर इस अंगदेश के राज्य को स्वीकार करो। हे कृपानाथ! हमारे राजा के मनोरथों को पूरा करो। यह सुनकर कुमार आश्चर्यचकित हुआ और मंत्री से कहने लगा-मंत्रीजी! यह बात विचित्र लग रही है। एक राजा के विद्यमान होते हुए भी दूसरा राजा किया जा रहा है। तुम्हारे राजा का मनोरथ क्या है? तुम मुझे वास्तविक सत्य कहो। मुझे बहुत आश्चर्य हो रहा है। तब मंत्री ने कहा-कुमार! ध्यान से सुनो! इसी महानगरी में श्रीकेतु नामक राजा था। इन्द्र की पुत्री जयंती के रूप को जीतनेवाली उसकी विजयन्ती नामक पत्नी थी। एक दिन राजा ने सभा के सदस्यों से पूछा-इस नगर में कौन ज्यादा सुखी है? सभी सदस्य अपने-अपने विचार व्यक्त करने लगे। तब किसी अत्यन्त स्पष्ट तत्त्ववेत्ता ने कहा-इस नगरी में विनयन्धर नामक श्रीमंत अत्यन्त सुखी है। जिसके पास कुबेर के समान लक्ष्मी है, बृहस्पति के समान बुद्धि है, कामदेव के समान रूप है और समुद्र के समान गंभीरता है। उस विनयन्धर को बुद्धिशाली, आज्ञा का परिपालन करनेवाली, सन्माननीय और रूप से मेनका को जीतनेवाली चार पत्नीयाँ हैं।। ___ इसी बीच कोई दूसरा व्यक्ति कहने लगा-अरे! तुम व्यापारी की स्त्रियों का वर्णनकर, राजा के अंतःपुर की स्त्रियों का अपमान क्यों कर रहे हो? तब पहले व्यक्ति ने कहा-अहो! दूसरों के सद्गुण के स्तवन करने से निंदा कैसी? मैं मानता हूँ कि सभी लोग गुण संपन्न वस्तु की प्रशंसा करते हैं। और यह बात सर्वलोक में प्रसिद्ध है। सभी नगर की स्त्रियाँ उनके समान रूप तथा सौभाग्य आदि सामग्री प्राप्त करने के लिए, अनेक देवीयों की उपासना कर रही हैं। इनका वर्णनकर, तुमने अच्छा किया है, अब आगे हमें स्त्रियों की बातचीत नहीं करनी चाहिए। राजा उनका अद्भुत वर्णन सुनकर, शराब पीनेवाले के समान उन स्त्रियों पर राग से मत्त हुआ। कहा गया है कि-गुणी अथवा निर्गुणी को देखने पर भी लोग उतने 20

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