Book Title: Pruthvichandra Gunsagar Charitra
Author(s): Raivatchandravijay
Publisher: Padmashree Marketing

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Page 68
________________ करे, वह वीरांगद राजा के समान सुख प्राप्त करता है। यह सुनकर राजा हृदय में सोचने लगा-अहो! धीरपुरुषों का चरित्र सुधारस समान है। इसलिए मैं भी देशांतर जाकर, अपने पुण्य की परीक्षा करता हूँ। इस प्रकार अपने मन में निर्धारणकर, राजा ने पूर्णभद्र मंत्री से यह बात कही। मंत्री ने कहा - देव! पृथ्वीतल पर कौन आपकी इच्छा पर आटंक डाल सकता है? फिर भी आपसे विज्ञप्ति करना चाहता हूँ कि - विदेश का प्रयाण कठिनाईयों से युक्त है। मार्ग में प्रयाण करते समय बहुत अपायों की संभावना है। शत्रुराजा हमेशा छल की गवेषणा करते रहते हैं और आपका शरीर भी अत्यंत कोमल है। इसलिए आप प्राचीन पुण्य से प्राप्त इस राज्य का परिपालन करे। फलांतर की वांछा से क्या प्रयोजन है? मंत्री के द्वारा बहुत समझाने पर भी, राजा ने उसकी बात नही मानी। पश्चात् रात्रि के समय, तलवार हाथ में लेकर अकेला ही नगर से बाहर निकला। शुभ शकुनों से प्रेरित उत्तर दिशा की तरफ चल पड़ा। ___गाँव, श्रेष्ठ नगर आदि का उल्लंघन करते हुए, कुमार ने किसी वन में एक बड़ा हाथी देखा। कुमार ने हाथी को वश किया और उस प ..ा। तब कुमार के कंठ में अकस्माद् ही पुष्पमाला गिरी। यह देखकर कुमार विस्मित होते हुए आगे बढ़ा और सामने एक महासरोवर देखा। वहाँ जलक्रीड़ा कर, सरोवर के तट पर खड़ा हुआ। उतने में ही किसी स्त्री ने दिव्यवस्त्र दिये। स्त्री ने कहा-अपूर्वदेव ऐसे आपका स्वागत है। कुमार ने कहा-भद्रे! मैं अपूर्वदेव कैसे हूँ? तब हँसकर स्त्री ने कहा-देवों की सम्यक् प्रकार से आराधना करने पर, वे सुख देते हैं अथवा नहीं? आपको देखने मात्र से ही हमारी सखी को सुख की प्राप्ति हुई है उससे ही आपको अपूर्व देव कहा है। तब राजकुमार ने पूछा-यह तुम्हारी सखी कौन है? और उसने मुझे कैसे देखा है? स्त्री ने कहा-वैताढ्यपर्वत पर सुरसंगीत नगर है। वहाँ पर सूरण राजा राज्य करता था। उसे स्वयंप्रभा और महाप्रभा नामक दो पत्नियाँ थी। उन दोनों को विनयवान् तथा सुंदर नीतिवाले शशिवेग और सूरवेग नामक दो पुत्र हुए। एक दिन संसार से विरक्त सूरण राजा ने शशिवेग को राज्य देकर, स्वयं ने रवितेज गुरु के पास दीक्षा ग्रहण की। राज्य संपत्ति का लोभी बना सूरवेग ने अपने मामा सुवेग की सहायता लेकर राज्य पर युद्ध करने के लिए तैयार हुआ। शशिवेग अपने नगर को छोड़कर सुगिरिपर्वत की बाजू में नया नगर बसाकर रहने लगा। उस शशिवेग राजा की चंद्रप्रभा नामक पुत्री है। सुशिक्षित बुद्धि से युक्त किसी नैमित्तिक ने उस कन्या को देखकर, राजा से कहा-जो इस कन्या के साथ विवाह करेगा, वह ही आपके राज्य को पुनः प्राप्त करायेगा। उसे कैसे पहचानेंगे? इस प्रकार राजा के पूछने पर, ज्योतिषि ने कहा-जो वन में, मदमस्त बड़े हाथी को अपने वश करेगा,

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