Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 681
________________ Prakrit Verses In Srngaraprakasa (Contd) (Vol. III : pp. 89-194) 756.188 अंगाइ किलामिज्जंति अंगाणं तणुआरअ अंछीइ (?अच्छीई)ता थइस्सं : GS IV. 48 GS IV. 14 अंजविकलज० (?अज्ज वि हरी चमक्कइ) GS II. 50 Vajja 318*3 444.134 292.103 779.192 523.148 534.150 263.98 240.93 341.113 365.118 459.137 790.193 279.101 297.104 310.107 665.173 326.110 529.149 448.134 452.135 673.174 417.128 598.161 577.158 582.159 268.99 303.105 227.90 अंझाए (? अज्जाए) णवणहक्खुअ अंतरअंति समुण्ण अंतोकदंतमअणग्गि अंदो ल] आइ भोइअधूआ अंदोलणलंघिअतट्टिआए ? अंदोलणलंघिअवइ ? अंधअरबोरपत्तं अंबो (? अव्वो)अणुणअसुहक अंबो (? अव्वो) दुक्करआरअ अइ उज्जुए ण ज (?ल)ज्जसि अइ-कोप (?व) णा वि सासू अइरा आणेमि तुह० [? तुज्झ] अइ सहि कूल्लाविहिछ (? वक्कुलाविरि) अकअण्णुअ तुज्झ कए अक्खडइ पिआ हिअए अगणिअसेसजुआणा अच्च (?च्छ) उ ताव मणहरं अज्छोही चिअ सा तेण अच्छेरं व णिहि विअ अच्छोडिअवत्थद्धंत अज्जअ णाहं कुविआ अब्ज (? अज्ज) कइमो हु दिअहो GS III. 40 GS IV. 6 GS III. 73 GS VII. 77 GS V. 93 Cf. SK p. 384 GSV.45 GS I. 44 GS I. 57 GS II. 68 Lilavai 1258 GS II. 25 GS II. 60 GS II. 84 GS II. 19 718.182 अज्ज मए उच्छासो ? 688.177

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