Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology

Previous | Next

Page 731
________________ Cf. GS (W) 878 GS I. 15 Bala-R VI p. 156 GS IV. 70 Cf. Vajja. 494 (HV) Cf. DHV I. p. 143 Cf. DR (1 st quarter only) कालाक्खर (? कालक्खर) दुस्सिक्खिअ । किं किं दे पडिहासइ कि गुरु जहणं अह थण कि जंपिएण बहमुह किं तादेण नरेंदसेहरसिहा कि भणिओसि ण बालअ कुत्तो लंभइ पंथि कुरु लालसभूले हे कुविआ अ सच्चहामा कुविआओ वि पसण्णाओ केलीगोत्तक्खलणे को एसो ति पलोठं कोला खणंति मोत्थं को सो जोअणवाओ खणमेत्तं पि ण फिट्टइ खाहि विसं पिब मुत्तं खिण्णस्स ठवेइ उरे गज्जंते खे मेहा गमिआ कलंबवाआ गम्मिहिसि तस्स पासं गहवइसुएण समअं गामतरुणीओं हिअअं गिम्हे दवग्गिमसिमलिइआइं Cf. GS II. 83 135.360 250.390 379.416 142.368 47.349 259.392 23 345 p.226 (SK) 274.356 312.403 207.382 292.399 10.341 57.351 188.377 8.341 342.409 98.359 146.369 364.413 270.395 293.399 126.364 365.413 302.401 93.358 190.378 92.358 96.359 78.355 240.388 Cf. GS III. 99 (Padalipta sureh) Setu I. 15 GS VII. 7 GS VI. 45 GS I. 70 गेण्हंति पिअअमा पिअ गेण्ह पलोएह इमं गोत्तक्खलणं सोऊण गोरंगउ तरुणिअणो गोलाअडट्ठिअं पेच्छिऊण गोलाविसमोआरच्छलेण GS II. 100 GS V.96 Appendix-II GS II. 8 GS II. 93 गोसे तिविछिरिछोली घरणीअ अकइअण्वं 32.347. 319.405

Loading...

Page Navigation
1 ... 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790