Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 769
________________ 111 Cited in KP IV. 88 (p. 162) णवपुणिमामिअंकस्स 9.548 णवरं चलिए चंदम्मि 38.553 णह-माण (? क्खअ)- कअग्गह-ताडणेहि 115.567 णाराअणो ति परिणअ 33.552 First Cited in A' sarvasva (p.61) णिअकंठसंठिओ किरणिद्द च्चिा वंदिज्जिउ (?वंदिज्जउ) णिदोसो ग हु कोइ वि णूणं दाव सचीए गोल्लेइ अणद्दमणा तक्खणविहलपरम्मुह तण्णत्थि (तं णत्थि) किं पि पइणो 149.574 19.549 93.563 137.571 148.574 14.548 34.552 First cited in Asarvasva (p. 133) GS III. 88 GS II, 79 GS III. 7 तं तुज्झ Yण दिण्णं तरलाविएहि दर-विअसिएहि तवणाहि ससी ससिणो तावमवणेइ ण तहा तीअ मुहाहि तुह मुहं तुहं चंडि गंडवाली तुह मुहसारिच्छं ण लहइ. तुह सेण्णभिण्णपाआर थणभुअमूलणिअंबे दइअम्मि विट्ठमेत्ते दक्खिण्णण वि एंतो सुहम दळूण पुण्णचंदं दढ-रोस-कलुसिअस्स वि दलिआरि-वसा-सोणि दाव रुदिअं (? ता रुग्णं) जा रुम्बइ दाहपसंगो अलिआणलेण दीवाओ अरुणं सि दुक्खेहि लंभइ पिओ दूरपवासे संमुहो । धवलो सि जइ वि सुंदर 133.571 8.547 124.569 164.577 122,568 13.548 18.549 112.567 20.550 118.568 100.564 146.574 11.548 54.556 161.576 84.561 123.569 127.570 43.554 134.571 GS IV. 19 GS II. 41 GS IV. 5 Cited in Vimarsini, (p.147) GS VII. 65

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