Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology
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below)
अथवा (? असौ वा )
अ (व) सु
P. 667
स्नुषा च (सर्वाङ्गाद् ) हृत
च्चेअ
प्रियस्य
-(HV?)
Doo
-(HV)
कुड्य ०
• सुब्वेल्लापुराअ
० अणे (? अणं) / रत्ने (? रत्नम् )
व्यलीकस्य
दोलिकया
० खंडिअ ०
पप्फुल्लिअं व मुणहअच्छेहिं (? अच्छी हि )
प्रपुष्पित ( प्रफुल्लित) मिवाक्षिभ्याम्
दारुणाम्
oगयवरुम्मूलियाए
णंदामि अ
-Bala-R. VI, p. 156
अर्वाड्ढr o
अणाअ-०
आत्मा उरसि
GS II. 6
उत्तरीतुं गंधवहो / गन्धवहः
लच्छि रहिअं / लक्ष्मी - रहितं
(? किंथ)
० रइ- पओसो
थणि उत्तमसु / ० स्तनि उत्तम्य०
समूहं
Setu V. 10
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