Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology
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(Additions)
Bhoja : Srngāraprakāśa 45. a) Eddahamettatnania......
(Vol. I. p. 245) एइहमेत्तत्थणिआ एदहमेत्तेहि अच्छिवत्तेहिं । एइहमेत्तावत्था एइहमेत्तेहि दिअहेहिं ॥ (एतावन्मात्रस्तनिका एतावन्मात्राम्याम् अक्षिपत्राभ्याम् ।
एतावन्मात्रावस्था एतावन्मात्रैदिवसः॥) 807) Mamuddhapodhachobaa......
(p. 878) मा मुद्ध घोड्ढ (?) छावअ बालाए इसि-हरिस-धुए वरिल्ले। विणिअंसण-दसण-कोउहल्ल-गहिओ गहिलिहोसि ॥ (मा मुग्ध मूर्ख (?) बालक बालायाः ईषद्-हर्ष-धूते उत्तरोये ।
विवसन-दर्शन-कुतूहल-गृहीतः ग्रहिलीभवसि ॥) . 976) Samāhamāagosaggamajjiri......
(p. 975) सा माह-मास-गोसग्ग-मज्जिरी तं पि दिन-पुण्णग्गी। मिलिआ गोला-तूहे दुवे वि तुम्हे खु धम्मिट्ठा ॥ (सा माघ-मास-प्रातमज्जनशीला त्वमपि दत्त-पुण्याग्निः । मिलितौ गोदा-तटे द्वावपि युवां खलु धर्मिष्ठौ ॥)
Hemacandra : Kavyānušāsana 77. a. 493 (Additions p. 7):
(p. 447 v. 584) पाआलअले सेसहि, णिहु जअ जअलच्छिवच्छथलमलिआ।
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