Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology
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मा रोदीस्यत्र० उन्नम सुभग वि कइअव (?णिक्कइअव)/निष्कतव दोब्बल्ल गणिरीए प्रियतम दोब्बल्लएहि (प) वेविर सिह (अं)/प्रवेपनशोलशिखकं
(%D शिखम्) भामं भामं छण-पईवं| भ्रामं भ्रामञ्च
क्षणप्रदीपम् कोटि-प्रतिष्ठापितानन० Setu V.7 Poetical नूनमेषु कुंद०/कुन्द० घरणीएँ घरिणीऍ गवक्खाओं ०खण (ख)-/क्षणार्धवलयं वेविलं बंध अहिटमन्ये मुखी . सुवेल पुप्फवइअ म्हि/पुष्पवतीकाऽस्मि अदीर्घायुष्को प्रार्थये देहि हाआ (? भाआ) रमितं (? रतं)
हसित० रचितमपि (?पेच्छिअं) जुअईणं
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