Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology
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109 114
कर-ठिआ
116
323 342 352 355 357
सुगन्धं सुगन्धं
वण्णिअं (पुप्फ) दिअरो/...पुष्पं...
- 117
360
गृहे गृहे शिक्षितुं काखक्षति
सखि
373 382 384 386 .
122
387 387
वसिओ ०लपितः
गभिताया हस्तौ कम्पेते सउणि व्व/शकुनिकेव सउणिअ व्व -कवाडअ/कपाटक जीवन्त्या
400
414 And Corrections p. 1 132
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437
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*456
471
139 142
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"
143. 144 145
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बहु-युवकोऽपि विसंष्ठुल० भर्त्सयमानया (कलहायमानया) कुमरी मूअल्लिओ/मूकः ०स्तत्र तत्र वणम्मि णअणाणं जस्स बलग्गति तंबाए identify आत्मीयमपि (? अप्रणयितमपि =
अप्राथितमपि) भणिों (?भाणिअं) बालाओं दर-लसिअ-थणीसु पुणो णिवसइ मअरद्धअ
505 508
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.
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रहस्सं
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०प्पेल्लण०
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