Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology
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Prakrit Verses In Alamkarasarvasva (With the Commentary Vimarsini of Jayaratha)
(Chapter IX: pp. 436-447)
अण्णं लडहत्तण अरस (अलस)-सिरोमणि धुत्ताण *अह सज्जणाण मग्गो *अंगे पुलअं अहरं इण्हि पहुणो पहुणो *इंदीवरम्मि इंदम्मि *उह (? अह) सरसदंतमंडल *एअत्तं अवअत्तं (?) ए एहि दाव सुंदरि एक्कत्तो रुअइ पिआ एद्दहमेत्तम्मि जए का विसमा देव | देव्व-गई किवणाणं धणं णाआणं
23.440 Cited in KP (p. 630); cf. GS (W) 969
6.437 ___Cited in KP (p. 135); GS (W) 970 40.444 31.442 | Cf. GRK 677
2.436 10.438 33.442
GS III. 100 25.441 53.446 Cited in KP (p. 736); GS (W). 972
20.32 - 14.439
GS IV. 3 56.447 29.442
Cited in KP (pp. 639-40)
[GS (W) 976] 1.436 5.437
GV406 21.440 46.445 48.445
9.4:8 44.445 22.440
GV. 12 18.439
*किं भणिमो भण्णइ कित्तिम *गअणं च मत्तमेहं गिज्जते मंगलगाइआहि वेत्तुं मुच्चइ अहरो *चोरिअरमणाउलिए *जणहिअअविदारणए *ण अरूवं ण अ रिद्धी णव (? र व) रोसदलिअ णाराअणो त्ति परिण *णिद्द च्चिअ दिज्जड तं णत्थि कि पि पइणो *तं णमह णाहिणलिणं 'तं ताण सिरि-सहोअर
54.446 39.443 13.438
8.437
Visama, GS (W) 988
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