Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology
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85
Visama; GS (W.989
GS VII. 65
ताला जाअंति गुणा *दिणअर-अर-णिउरंबा *दूरपवासे संमुहो *धम्मज्जणेण काण वि घवलो सि जह (? जइ) वि सुंदर परहिअ मग्गंतीए *पंथिअण इत्थ सत्थरअं *पंथिअण एत्थ सत्थरमत्थि *पाउअबंधं पढिउं *पुसिआ कण्णाहरणेद *फणरइअराइअंगो बालअ णाहं दूई मग्गिअ लद्धम्मि बला *मलआणिलेण सह सोरह *मलअसमीरसमागम *महिलासहस्सभरिए
12.438 35.443 43.444 28.441 55.447 45.445 38.443 7.437
3.436 17.439 30.442 41.444 24.441 34.443 19.440
Cf. GRK 21 GS IV. 2
Cf. GS II. 78; Vajja. 438, 438*3 Cf. GS (W) 827
Lilavai.84 GS II. 82
Setu II. 35
*मंदरमेहक्खोहिम *माणो गुणेहि जाअइ मुंडसिरे बोरफलं *रइभवणाहि परिअणो *रणरणअगुणिअमुज्जत्तणम्मि रेहइ मिहिरेण णहं
4.437 20.440 15.439 50.446 32.442 26.441 47.445 21.441
Cited in Udbha ta-Vivrti (p. 12) GS IV. 11, Vajja.637
37.443
49.445
Setu IV. 6
लंकालआण पुत्त *विण्णाणेण मअविसं *विहडंतोट्ठदलउडं *संजीवणोसहं मिव *साहारं साहार सुहअ विलंबसु थो *सोवाणारोहणपरिस्समेण *हंसाण सरेहि विणा
15.439 51.446 11.438 42.444 52.446 36.443
Cited in Udbhața Vivrti
Cited in KP (p. 708)

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