Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 740
________________ 1224 82 अइ पिहुलं जलकुंभ अणं लडहत्त अत्ता एत्थ णुमज्जइ अलस सिरोमणि धुत्ताण उअ णिच्चल - णिकंदा ए एहि किं पि कीए वि ए एहि दाव सुंदरि एमेत्-त्यणिआ ओणि दोव्बल्लं उल्लोलकर अरअण करजुअगहिअजसोआ कस्स व ण होइ रोसो काविसमा देव्वगई किवणाणं धणं णाआण केसेसु बलामोडिअ Prakrit Verses In Kavyaprakasa (Chapter VIII : pp. 418 - 435 ) पाहुण देअर खलववहारादीसंति गाढा लिंगण रहसुज्जुअम्मि गामारुह म्हि गामे गुरुअणपरवस पिअ कि चित्ते चहुट्टदि ण खुट्टदि सा गुणेसु जस्सरणं उरए जस्सेअ वणो तस्सेअ वेअणा जह गहिरो (? गंभीरो) जह रअण जं परिहरिजं तीरइ जा ठेरं व हसंती जे लंकागिरिमेहलासु जोहाऍ महु-रसे अ दुल्लंतो मरिहिसि णवपुणिमामि अंकस्स 5.419 50.431 36.247 12.420 3.418 52.432 60.434 4.419 6.419 18.422 59.434 35.426 57.433 51.431 13.421 33.426 20.423 14.421 31.425 10.420 44.429 48.431 58.433 64.435 39.428 15.421 16.421 29.425 47.430 25.424 Cf. GS (W) 881 969 " GS VII. 67 GS (W) 970 GS I. 4 Cf. GS (W) 972 973 " 95 38 .. 39 22 33 22 " 23 27 " 37 " 33 956 971 974 886 99 975 KM II. 4 Cf. GS (W) 980 981 د. 976 977 963 978 934 705 851 KMI.20 Cf. GS (W) 984 985 986 979 983

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