Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology
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अवऊहिअपुव्वदिसे अवलंबह मा संकह अवलंबिअमाणपरं मुह अवसहिजो पा अविभावि र अणि मुहं अव्वोच्छिष्ण पसरिओ
अव्वो दुक्करआरअ
अ- समत्त मंडण चिचअ
असमत्तो वि समप्पइ
अह त सत्यदिष्णो अह धाविऊण संझामण ( ? )
अह सा हि हि व्विअ ( ? चिअ ) अह सो विलक्खहिओ
-हरविरइअ
आअंब-लोअणाणं •
आअर-पणामिओ
उज्झपिट्ठिए
आणिअपुल
आलाओ मा दिज्जउ
आलोअंत दिसाओ
आवाअ-भअअरं चिअ
आसाइअमण्णाण
इमिणा सरएण ससी
• इह ते जअंति कइणो
• उअ पोम्मराअमरगअ अहिस्स जसे जसं
उच्चिर वालीयिअ पन्थ
उज्झसि पिआइ समअं
उट्ठत महारंभे ( थणए ) उत्तंसिऊण दोहल
उद्धच्छो पिअइ जलं
लम्मू आिण खुलिआ (? खुडिआ )
उपेल्लिअवs कारिल्लआई
335.408
329,407
344.409
288.398
224.385
118.363
287.398
209.382
326.406
304,402
294,400
361,413
360.412
4.340
186.377
229.386
2.339
318.405
193.378
277.396
266.394
168.373
160.372
38.348
22.345
52.350
61.352
138.367
350.410
295.400
77.355
152.370
127:365
GS IV. 86
GS I. 87
Setu III. 17
GS III. 73
GS I. 21
GS IV. 18
GS V. 20
GS V. 73
GS I. 22
(HV)
Cf. GS VI. 14
Setu XI. 74
Cf. GS (W) 958
Lilāvai. 25
GV. 62
GS I. 75
Setu IV. 43
Appendix-II
GS III. 75
GS IV. 82
GS II. 61
Setu VI. 81
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