Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology
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Prakrit Verses In Sarasvati-Kanthabharana
( Chapter VII : pp. 339-417) अंतोतं डज्झइ
228.386
GS IV. 73 अंदोलणक्खणोहिआए
291.399 अइकोवणा वि सासू
325.406
GS V.93 अइ दिअर किं ण पेच्छसि
208.382
GS VI. 70 अइ दुम्मण अज्ज
66.353 अइ सहि वंकुल्लाविरि
99.359 अकटगुमटी चन्द्रज्योत्स्ना
31.346 अगणिअसेसजुआणा
327.406
GSI.57 अच्छक्का (पा. भे. अत्थक्का) 254.391
Cf. GS (W). 822 . गअहिअए (?) अज्ज मए गंतव्वं
194.379
GS III. 49 अज्ज मए तेण विणा
187.377
GSI. 29 अज्ज वि ताव एक्कं
331.407
Cf. GS VI, 2 अज्जवि बालो दामोअरो
162.372
GS II. 12 अज्ज वि सेअजलोल्लं
241.388 अज्जाइ णवणहक्ख
236.388
GS II. 50 अणुणिअ- (? अणुणअ-) खण-लद्ध-सुहे 282.397
Setu X. 69 अणुमरणपत्थिआए
281.397
GŚ VII. 33 अण्णमहिलापसंग
351.411
GS I. 48 अण्णह ण तीरइ च्चि
328.407
GS IV. 49 . अण्णुअ णाहं कुविआ
260.392
Cf. GS II. 84 अण्णे विहु होति छणा
305.402 अण्णोणेहि सुचरिअ
83.356
Vide Appendix-II अत्तंतह ( ?अत्ता तह) रमणिज्जं 41.348
GSI.8 अत्थक्करूसणं खण
212.383
GS VII. 75 असणेण पुत्तअ
316.404
GS III. 36 अप्फुदंतेण णहं
48.349 अमअमअ गअणसेहर
323.406
GS I. 16 अम्हारिसा वि कइणो
18.343 अलिअपसुत्त (अ) विणिमीलिअच्छ 204.381
GSI.20
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