Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology
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हरिहिs पिअस्स णवचूअपल्लवो ह० लपल०ण पसाहिराणं ? हला चंडि... गमिस्सदि हलिअमुआ ( ? सुआ) मुहससिकंति हसिआइ समालस ( ? ) कोमलाइ हसिएहि उवाल० भा ( उवालंभा ) हारिहाउ सहाबहुल ? हिअइ खुडंकइ गोड्डी ( ? )
हि एहि fifपतस्य ( ? ) ( = ए एहिकिंपि 908.213
कीए वि)
हिमचुणजोत्थाओ
हु० णि० ल० समोसर = हुं णिल्लज्ज
समोसर ( ? )
हु हु दे भणसु पुणो
होउ ण सुअं चिअ मअणेअ ?
हतपहिअस्स जाओ
होत पि अविरहदू सह होज्जजवणे ? सो दिअहो
नष्टाद्याक्षराणि प्राकृतपद्यानि
...इओ च्चेउं
( = ईसालुओ पई से )
... कइर घणवावण ?
"खिडिओ वाहारो ? .....गहिखे वअण. ? 'पहाइअ ओसकाल ?
...
1334,287
1425.303
927.217
824.198
1434.304
990.227
880.209
1300.281
...पुच्छंती मह चिअस्स
...वअणिपि०जइ हालाहलं ?
....वाअचितिअं विसंवइओ ?
...समिअमवत्ति ? = - तीए सविसेसदूमिअ
1241.270
992.227
1037.235
1144.252
1424.303
1181.259
1266,275
1265.275
1061.239
912.214
867.205
1204.263
1194.261
971.224
1558.324
914.214
1062.239
1073.241
1250.272
1646.337
GS II. 43
GS I. 79
Sakuntala (Act. I )
Cf. SK p. 683
GS VI. 13
Cf. Hem Prakrit Grammar
(IV. 395)
GS VII. 2
GS (W) 899
GS (W) 946; SK p. 589
39
SK p. 638
GS I. 47
GS II 59
GS VII. 77
SK p.678

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