Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 724
________________ 65 सझउअ हअमाणो सज्झसवेसवे वि ( ? ) समिअसवत्ति सद्धा मे तुज्झ पिअत्तणस्स स० भावसिणेहवेविते ( ? ) समपंथपत्थअस वि समसोक्ख दुक्ख संवड्ढियाण सरिसपडिवक्खपुरओ स ० वंग (सव्वंग) णिसण्णाए सव्वंगत्ता कंचुअम्मि ससिदि० णवस ०ध० खो ससिमुहि मुहस्स लच्छी सहसा पत्तम्मि पिए सहसा मा साहिप्प अह० धाि सहिआहि विअविसज्जिअ सहिआहि भण्णमाणा सहि एरिस चि गई सहिओ तुझ विओओ सहिअंगोत्तक्खणं सहि माणक्खणं सहिअम्मि रामविरहे सहिता अ०च उ०त्ति सहि ताव अच्च चिचअ सहिदूत लंबाई सहि पाए चिति (?) सहि साहसुस०भावेण साकुसुमेहि गुरुआ ता कुसुमेहि गुरु सातु सत्यदिणं सा तुह कएण बालअ सामण सुंदरी 1102.245 962.223 1250.272 1173.258 1127.249 1310.283 1367.292 1151.254 1387.296 1564.325 1070.240 923.216 1627.334 1330.286 942,219 1506.315 1465.309 1112.247 1394.297 1192,261 1108.246;1153.254 1396.297 1050.237 1058.239 1339.288 1243.271 1255.273 1007.230 1594.329 1534.320 815.197 1426.303 Cf. SK p.678 GS (W). 750 GS (W). 832 GS II. 42 Setu XI. 69/68 (Calcutta edn,) (HV ?) Cf. SK p. 591 Setu X. 74. Cf. SK p.667 GS II. 45 GS I. 10 Setu XI. 79 Setu XI. 112. GS II. 77 GS V. 53 (HV) " GS II. 94 ( 1st quarter only) Cf. SK p. 636 GS III. 61 GV. 959

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