Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology
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Cr. SK p. 620 . Setu XI. 99
(HV ?) GS IV. 22 Setu.XI. 110.
Cf. SK p. 664 (HV) GS IV. 56
.
GS (W). 918
रूससि रु० ठिअ (?)
1088.243 रे अविअद्ध रविअडं (?)
1066.240 रेहक (?इ) पिअपडिरंभण (?) 1460.308 रोअवणवलअर गं?
1386.295 = लोअणवइअर लग्गं लंभपुसिआघराभो (?)
1603.330 ल्लं (लु) बीओ अंगणमाहवीण 1341.288 लक्खिज्जंत-विसाआ
1398.298 लच्छीए मुद्धकुवलअ
818.197 लुलिया गहवइधूआ
_1524.319 लोलअ (?) सुरअरुकारण
1228.268 वअणेअपलंअंत (?वअणे वअणम्मि चलंत) 873 207 बंदं (वंदं) कीराण नहे
811.196 वच्चिहिइ सो घरं से
938.218 व/ब० छइ णइते० छ ?
843.201 व० लिवलेलअंग (? वल्ली वलेइ अंगं) 1416.301 वसट्ठिअम्मि सोहा ?
1634.335 वहुआए (बहुआए) गइगिउंजे
893.211 वाअसउद्दावहति
1640.336 (अपभ्रशभाषायाम्) वा अहिबतितो
1317.284 (अपभ्रंशभाषायाम्) वाओर० दपगव० इ (?)
1011.231 वाडेइविदिअं गम्मिज्जं (?)
1494.313 वालिवहदिट्ठसारं
1406.299 वा/वाहजलोल्लिअलोअण
1363.291 (अपभ्रंशभाषायाम्) वाहरउ मं सहीओ
1167.257 वाहित्ता पडिवअणं ण देइ
837.200 वाहिप्पंती वहूअं
1143.252 विअलिअविओअविअणं
1377.294 विअसत्तेण मुणिज्जइ
1449.306 विक्किणइ माहमासम्मि
1417.302
GS IV. 4 (pecond half) (HV ?)
Vide Appendix-I
Setu XI. 126 Vide Appendix-I
GS II. 31 GS V. 16
Setu XI. 57
GS III. 38
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