Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology
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1332.286 1006.230 1306.282 1458.308 1311.283
GS IV.99
Vide Appendix-I
1275.276 1616.333 1321.285
GS. IV. 68 Vide Appendix-I
GS VI. 22
मगाअपलद्धवल (?) मज्झ च्चिअ वअणिज्जं मज्झण्णपत्थिअस्सवि मझिमरेहाग मटपुंभामि पइं जाणिता
(अपभ्रंशभाषायाम) मण्णे दड्ढं दड्ढं म्हरिमो (भरिमो) से मा गणइंदहोअं
(अपभ्रंशभाषायाम्) माणंसिणीए अहिणव माणुम्मत्ताए मए माणोआमाणो० चं (?) माणो माए दोए मा मुद्ध पोढ छोबह मारुअमोडिअविडवं मा रुअसु पुससु बाहं मा वच्च पकिफलाविर (? पुष्फलाविर) मा वेलवेसु बहुअं मिलिअणिसाअरपुरओ मुधेव (? मुहेव) वेविरंगुली मुहमेत्तेण वराओ मुहविज्झविअपर्डबं (? पईवं) मोत्तूण अ रहुणाह रअणाअरस्स साहेमि रइअंपि तण्ण (?ता ण) . रइविग्गहम्मि कुंठी रणरणअ रज्जदोव्वल (?) रणम्मि तणं रणम्मि पाणि रसअज्झअकअधिकार (?) राईण भणइ लोओ रायविरुद्धं व कहं रुअइ रुअंतीए
Setu XI. 90 Setu XI. 91 GS IV. 55 GS (W)907 Setu Xl. 97
1588.328 1120.248 1238.270 1209.264
807.196 1403.299 1400.298
877.208 1131.250 1412.301 1605.331
889.210 1422.303 1413.301
863.205 1528.319
978.225 1288.279 1650.338 1064.239 1318.284 1304.282 1258.274
GS IV. 33 Setu XI. 123 GS (W).760 Cf.:SK p. 666 Cf. SKp. 628 Cf. GRK. S. No. 383 GS III. 87
GS (W). 845 GS IV.96 GS (W) 848
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