Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 725
________________ GS II. 80 GS I. 30 सामाइ सामलीए सामाहमासगोस (?) सालोए च्चिअ सूरे साहसु विलासिअणिज्जे साहसु विलासिणिअणं साहि०प० ति सवि रोतूण (?) साहोणे वि पिअअमे सिज्जुज्जइ उवआरो सिलिरिगुलिमे गामे सिविणअखणसुत्तुट्ठिआए 835.200 976.225 1437.304 1017.232 1110.246 1044.236 1331.286 1486.312 830.199 1353.290 GS (W) 869 GSI. 39, SKp. 647 GS (W) 835, A. Bh. Vol. I p. 307 GS II. 73 Setu XII. 22 GS V. 12 GS 1. 50 सिहिवेहुणातअंसा सीआविओअदुक्खं सुण्हाए हिअअगुण सुप्पउ तइओ वि गओ सुभउ० चिअं जणं (?) सुरअसुहलालसाहिं (?) सुहअ मुहुत्तं सुवउ (?) सुहआ वि सुंदरी वि हु सुहउज्जअं जणं (?) सुहलालसाहि अवअअ (?) सेओल्लस०वंगी सेवाणक्कमण ... सो उद्देसो वहिणा ण णिम्मिओ ? सो० तुं सुहं गल० भइ 1444.306 1257.273 1520.318 934.218 1169.257 1555.323 1184.259 1122.249 1560.324 936.218 1559.324 1649.337 1313.284 1196.262 1655.338 847.202 1456.308 1532.320 GS (W)906 GS (W)926 GS I. 50, SK p. 474 Cf. SP p. 1200, " Suraa-suha' GS V. 40 GS (W)910 Cf. SK p. 365 सो मुद्धमओ मअतहिआहि सोहइ विसद्धसिद्धत्थ (?) हंहो कण्णुल्लोणा हत्थे महामंसवलीधराओ ह० धसलिलाहआए हद्धेण ओहगरि हरिस-विअसंत-वअणं Cf. SK p. 635 Karpūra IV. 14 1498.314 1056.238 1273.276 1596.329 Setu XI. 48

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