Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 734
________________ 76 ताव च्चि रइसमए तावमवणे ण तहा तीए दंसणसुहए ती सविसेसदूमिअ तुं सि मए चूअंकुर तुझ ण आणे हिअअं तुह विरहुज्जागरओ तेण इर णवलआए ते विरला सप्पुरिसा तो कुंभअण्णपडिवअण तो (? तं) ताण हअच्छाअं थोआरूढ महुमआ थोओसरत-रोसं दंसणवलिअं दढकं दंसेमि तं पि ससिणं दट्ठो हो असिलअघाओ दंतक्खअं कवोले दरवेविरोरुजुअला दिअरस्स सरअ ( ? सरस) मउअं (? महुरं) fare अस दिट्ठाइ वि जं ण दिट्ठो दिट्ठा कुविआणण दिट्ठे जं पुलइज्जसि दीसइ ण चूअलं अ-अंग बुल्लहणाराओ दूजे मुत्तं दूरपडिबद्धराए देहो व्व पडइ दिअहो ओवप्णवल्लरि * धवलेहिं अणंजण सामले ह 203.381 230.386 378.416 332.407 27.346 24.345 324.406 243.389 148.369 110.362 120.364 310.403 380.417 167,373 368.414 383.417 235.387 237.388 307.402 314.404 91.358 263.393 311.403 195.379 100.360 114.362 211.383 284.398 129.365 132.366 184.377 22.343 GS I. 5 GS III. 88 (HV) (HV) Sakuntala VI. 3 Sakuntala III. 17 GS V. 87 Setu III. 9 Setu II. 45 (HV) KM I. 25 Appendix-II GS VII. 14 GS VII. 91 Cf GS (W) 720 "" GS VI. 42 Ratna II. 1

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