Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology
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पहवंति च्चि पुरिसा पाअडिओ सोहगं
पापडणाण सुद्धे
पाणउडी अवि जलिऊण
पाणिग्गहणे चिअ
पिअदंसणेण सुहरस पिअसंभरणपलोट्टंत पिसुर्णेति कामिणी
पीणत्तण- दुग्गेज्झं
पीणथए केसर
पीणपओहरलगं
पुरिससरिसं तुह इमं पुलअं जर्णेति दहकंधरस्स
पुहवी होहिं प
पेच्छइ अलद्धलक्खं
पोढमहिलाणं जं सुट्ठ
फुल्लुक्करं कलमकूरसमं बहुवल्लहस्स जा होइ
बाणउ उज्जु माइगहिल्ल
बालत्तण-दुल्ललिआएँ भद्दं भोदु सरस्सअ
भरिमो से सअणपरम्मुहीअ
भिडी पुलोइस्सं अवहणिमित्तणिग्गअ
मंगलवलअं जीअं व
मज्झट्ठिअधरणिहरं
मज्झ पथिअस वि
मंतेसि ( ? मन्नसि ) महुमहपणअं
माणदुम-परुस -पवणस्स मामि हिअअं व पीअं
मुंड आण्णकाअ
अ
185.377
171.374
271.395
80.355
216.384
89.357
225.385
308.402
72.354
297.400
116.363
371.415
172,374
280.397
221.385
75.354
238.388
369.414
374.415
55.351
347.410
58.351
252.390
253.391
60.352
218.384
154.370
226,386
169.374
232.387
268.394
101.360
42.348
GS V. 60
GS V. 65
GS III. 27
GS I. 69
Cf. GS IV. 23
GS III. 22
GS. VI. 58
Setu I. 3/4
Setu I. 24
Setu XI. 105
Setu XV. 66 (Calcutta edn)
Setu XI. 78
GS III. 96
KMI. 19
GS I. 72
Appendix-II
KM I. 1
GS IV. 68
Marica vadhe)
GS IV. 99
(HV)
GS IV. 44
GS III. 46
Appendix-II
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