Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 736
________________ 78 पहवंति च्चि पुरिसा पाअडिओ सोहगं पापडणाण सुद्धे पाणउडी अवि जलिऊण पाणिग्गहणे चिअ पिअदंसणेण सुहरस पिअसंभरणपलोट्टंत पिसुर्णेति कामिणी पीणत्तण- दुग्गेज्झं पीणथए केसर पीणपओहरलगं पुरिससरिसं तुह इमं पुलअं जर्णेति दहकंधरस्स पुहवी होहिं प पेच्छइ अलद्धलक्खं पोढमहिलाणं जं सुट्ठ फुल्लुक्करं कलमकूरसमं बहुवल्लहस्स जा होइ बाणउ उज्जु माइगहिल्ल बालत्तण-दुल्ललिआएँ भद्दं भोदु सरस्सअ भरिमो से सअणपरम्मुहीअ भिडी पुलोइस्सं अवहणिमित्तणिग्गअ मंगलवलअं जीअं व मज्झट्ठिअधरणिहरं मज्झ पथिअस वि मंतेसि ( ? मन्नसि ) महुमहपणअं माणदुम-परुस -पवणस्स मामि हिअअं व पीअं मुंड आण्णकाअ अ 185.377 171.374 271.395 80.355 216.384 89.357 225.385 308.402 72.354 297.400 116.363 371.415 172,374 280.397 221.385 75.354 238.388 369.414 374.415 55.351 347.410 58.351 252.390 253.391 60.352 218.384 154.370 226,386 169.374 232.387 268.394 101.360 42.348 GS V. 60 GS V. 65 GS III. 27 GS I. 69 Cf. GS IV. 23 GS III. 22 GS. VI. 58 Setu I. 3/4 Setu I. 24 Setu XI. 105 Setu XV. 66 (Calcutta edn) Setu XI. 78 GS III. 96 KMI. 19 GS I. 72 Appendix-II KM I. 1 GS IV. 68 Marica vadhe) GS IV. 99 (HV) GS IV. 44 GS III. 46 Appendix-II

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