Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Author(s): V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 690
________________ णववर-उरा (तूरा)अण्णण णववरकरग्गहिअकराए णववाहपे०म (?पेम्म) तणइओ णववहुपेम्मतणुइओ णवि तह अणालवंती गवि तह छेअरआई वि णस्सहइ (?ण सहइ) कालक्खेवं गंचिअणाएळनं (?) गंदंतु सुरअसरभस GS II. 22 GS II. 22 GS VI. 64 GS III. 74 Lila vai. 567 302.105 350.115 226.90 584.159 332.111 635.168 278.100 490.143 656.172 725.183 717.182 684.176 359.117 502.144 GS II. 56 णाअरिआपेम्म वि अण्णो (?) णाराअणो त्ति परिण णासं व सा कओले Cf. Ruyyaka p. 61 GS I.96 561.155 510.146 GS IV. 28 Setu III. 25 णिआइ (?णीआइ) अज्ज णिक्किव णिजपिखअंठसमुद्ध (?णिज्जति चिरपअत्ता) णिद्दालसपरिघुम्मिर GS II. 48 . 216.86 266.98 506.145 357.116 646.170 627.167 णिद्दालसमअणुम्मील णिद्दाविराममोण व्व (?) णिम्मरिअसंधि मा (? णिम्मविअसंधिअम्मा) णिव्वुत्तु (?त्त)-रआ वि वहू णिसुणेहइ अहोमुहतं (?) णिहुआ खु णीससिज (?ज्ज)इ णोआइ अज्ज णिक्किव GS II. 55 GS IV. 28 286.102 239.93 243.94 419.129 563.155 305.106 571.157 780.192 378.120 765.190 णीसासुक्कंपपुळो ( = लो) इएहि GS. IV. 61 णीसेसपसुत्तजणम्मि णूमति जे पहुत्तं GS. I. 91

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